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काले काले बदरा, घिर घिर आ रहे है (Kaale Kaale Badra Ghir Ghir Aa Rahe Hai)

काले काले बदरा,

घिर घिर आ रहे है,

ऐ जी झूला डालो,

हम्बे झूला डालो,

कदम्ब की डाल,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है,

लम्बे लम्बे झोटा,

राधा रानी ले रही है,

ऐ जी कोई नन्ही नन्ही,

हम्बे कोई नन्ही नन्ही,

परत फुहार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


झूला पे मोहन,

श्यामा संग झूलते जी,

ऐ जी गोपी गाती है,

हम्बे गोपी गाती है,

राग मल्हार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


चंपा चमेली जूही,

मोगरा खिल रहे जी,

ऐ जी कोई शीतल,

ऐ जी कोई शीतल,

चलत बयार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


कदम्ब की डाली काली,

कोयलिया गा रही जी,

ऐ जी दादुर पपिहन की,

ऐ जी दादुर पपिहन की,

सुरीली मस्त पुकार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


राधा की पायल कान्हा की,

बंसी बज रही,

ऐ जी दास प्रेमी के,

ऐ जी दास प्रेमी के,

लड़ी है अखियाँ चार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


काले काले बदरा,

घिर घिर आ रहे है,

ऐ जी झूला डालो,

हम्बे झूला डालो,

कदम्ब की डाल,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है,

लम्बे लम्बे झोटा,

राधा रानी ले रही है,

ऐ जी कोई नन्ही नन्ही,

हम्बे कोई नन्ही नन्ही,

परत फुहार,

कारे कारे बदरा,

घिर घिर आ रहे है ॥


कितना सोणा है दरबार, भवानी तेरा (Kitna Sona Hai Darbar Bhawani Tera)

कितना सोणा है दरबार,
भवानी तेरा ये सिणगार,

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रचा है श्रष्टि को जिस प्रभु ने (Racha Hai Srishti Ko Jis Prabhu Ne)

रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,
रचा है सृष्टि को जिस प्रभु ने,

कालाष्टमी व्रत 2024

हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विशेष पूजा की जाती है, जो साधकों को विशेष कार्य में सफलता और सिद्धि प्रदान करते हैं।

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