नवीनतम लेख

हम वन के वासी, नगर जगाने आए (Hum Van Ke Vaasi Nagar Jagane Aaye)

हम वन के वासी,

नगर जगाने आए ॥


दोहा – वन वन डोले कुछ ना बोले,

सीता जनक दुलारी,

फूल से कोमल मन पर सहती,

दुःख पर्वत से भारी ॥


धर्म नगर के वासी कैसे,

हो गए अत्याचारी,

राज धर्म के कारण लूट गयी,

एक सती सम नारी ॥


हम वन के वासी,

नगर जगाने आए,

सीता को उसका खोया,

माता को उसका खोया,

सम्मान दिलाने आए,

हम वन कें वासी,

नगर जगाने आए ॥


जनक नंदिनी राम प्रिया,

वो रघुकुल की महारानी,

तुम्हरे अपवादो के कारण,

छोड़ गई रजधानी,

महासती भगवती सिया,

तुमसे ना गयी पहचानी,

तुमने ममता की आँखों में,

भर दिया पिर का पानी,

भर दिया पिर का पानी,

उस दुखिया के आंसू लेकर,

उस दुखिया के आंसू लेकर,

आग लगाने आए,

हम वन कें वासी,

नगर जगाने आए ॥


सीता को ही नहीं,

राम को भी दारुण दुःख दीने,

निराधार बातों पर तुमने,

हृदयो के सुख छीने,

पतिव्रत धरम निभाने में,

सीता का नहीं उदाहरण,

क्यों निर्दोष को दोष दिया,

वनवास हुआ किस कारण,

वनवास हुआ किस कारण,

न्ययाशील राजा से उसका,

न्ययाशील राजा से उसका,

न्याय कराने आए,

हम वन कें वासी,

नगर जगाने आए ॥


हम वन के वासी,

नगर जगाने आए,

सीता को उसका खोया,

माता को उसका खोया,

सम्मान दिलाने आए,

हम वन कें वासी,

नगर जगाने आए ॥

उगादी त्योहार क्यों मनाया जाता है

उगादि दक्षिण भारत में एक महत्वपूर्ण नववर्ष उत्सव होता है। "उगादि" शब्द संस्कृत के "युग" अर्थात् "युग की शुरुआत" और "आदि" अर्थात् "आरंभ" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है नए युग का आरंभ।

सारी दुनिया में आनंद छायो, कान्हा को जन्मदिन आयो(Sari Duniya Me Aanand Chayo Kanha Ko Janamdin Aayo)

सारी दुनिया में आनंद छायो,
कान्हा को जन्मदिन आयो ॥

Sher Pe Sawar Hoke Aaja Sherawaliye (शेर पे सवार होके आजा शेरावालिए)

शेर पे सवार होके आजा शेरा वालिये। (शेर पे सवार होके आजा शेरा वालिये।)

राम नाम को जपता, सुबहो शाम है (Ram Naam Ko Japta Subaho Shaam Hai)

राम नाम को जपता,
सुबहो शाम है,