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काहे तेरी अखियों में पानी (Kahe Teri Akhiyo Me Pani)

दोहा:

जोगनिया का भेष बनाके,

तुम्हे पुकारूँ मोहन,

रख लो लाज मेरी कान्हा,

बन गई तेरी जोगन ।


काहे तेरी अखियों में पानी,

काहें तेरी अखियों में पानी,

कृष्ण दीवानी मीरा,

श्याम दीवानी,

कृष्ण दीवानी मीरा,

श्याम दीवानी,

दीवानी दीवानी दीवानी,

ओ मीरा प्रेम दीवानी,

ओ मीरा कृष्ण दीवानी ॥


हँस के तू पीले विष का प्याला,

हँस के तू पीले विष का प्याला,

तोहे क्या डर तोरे संग गोपाला,

तोहे क्या डर तोरे संग गोपाला,

तेरे तन की ना होगी हानि ।

कृष्ण दीवानी मीरा,

श्याम दीवानी,

कृष्ण दीवानी मीरा,

श्याम दीवानी,

दीवानी दीवानी दीवानी,

ओ मीरा प्रेम दीवानी,

ओ मीरा कृष्ण दीवानी ॥


सबके लिए मैं मुरली बजाऊँ,

सबके लिए मैं मुरली बजाऊँ,

नाच नाच सारे जग को नचाऊँ,

नाच नाच सारे जग को नचाऊँ,

सिर्फ राधा नहीं मेरी रानी ।

कृष्ण दीवानी मीरा,

श्याम दीवानी,

कृष्ण दीवानी मीरा,

श्याम दीवानी,

दीवानी दीवानी दीवानी,

ओ मीरा प्रेम दीवानी,

ओ मीरा कृष्ण दीवानी ॥


प्रीत में भक्ति जब मिल जाए,

प्रीत में भक्ति जब मिल जाए,

जग तो क्या ये सृष्टि हिल जाए,

जग तो क्या ये सृष्टि हिल जाए,

झुक जाए अभिमानी ।

कृष्ण दीवानी मीरा,

श्याम दीवानी,

कृष्ण दीवानी मीरा,

श्याम दीवानी,

दीवानी दीवानी दीवानी,

ओ मीरा प्रेम दीवानी,

ओ मीरा कृष्ण दीवानी ॥


काहे तेरी अखियों में पानी,

काहें तेरी अखियों में पानी,

कृष्ण दीवानी मीरा,

श्याम दीवानी,

कृष्ण दीवानी मीरा,

श्याम दीवानी,

दीवानी दीवानी दीवानी,

ओ मीरा प्रेम दीवानी,

ओ मीरा कृष्ण दीवानी ॥

होली और रंगों का अनोखा रिश्ता

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि ये खुशियां, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर त्योहार मनाते हैं। लेकिन क्या आपने ये कभी सोचा है कि होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है, जो भगवान श्रीकृष्ण और प्रह्लाद से जुड़ी है।

अरे रे मेरी जान है राधा (Are Re Meri Jaan Hai Radha)

अरे रे मेरी जान है राधा,
तेरे पे क़ुर्बान मैं राधा,

मां के दिल जैसा दुनिया में कोई दिल नहीं

दिल दिल दिल दिल दिल..माँ का दिल
दिल दिल दिल..माँ का दिल दिल दिल

श्री विन्धेश्वरी चालीसा (Shri Vindheshwari Chalisa)

नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥

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