नवीनतम लेख

मैं शिव का हूँ शिव मेरे है: भजन (Main Shiv Ka Hu Shiv Mere Hai)

मैं शिव का हूँ शिव मेरे है,

मैं और क्या मांगू शंकर से,

मेरे मन में उनके डेरे है,

मैं और क्या मांगू शंकर से,

मैं शिव का हूँ शिव मेरे हैं,

मैं और क्या मांगू शंकर से ॥


मैंने बहुत बार खायी ठोकर,

गिरते को संभाला है उसने,

औकात मेरी से ऊपर ही,

कितना कुछ दे डाला उसने,

मेरे पार लगाये बेड़े है,

हर वक़्त वो नेढ़े नेढ़े है,

मेरे दिन बाबा ने फेरे है,

मैं और क्या मांगू शंकर से,

मैं शिव का हूँ शिव मेरे हैं,

मैं और क्या मांगू शंकर से ॥


मैं जबसे शिव का भक्त हुआ,

मेरे दिल से विदा हुई नफरत,

पशु पक्षियों से भी प्रेम हुआ,

मासूम सी हो गई है फितरत,

सब चेहरे उसके चेहरे है,

उसके ही अँधेरे सवेरे है,

शिव प्रेम ही मुझको घेरे है,

मैं और क्या मांगू शंकर से,

मैं शिव का हूँ शिव मेरे हैं,

मैं और क्या मांगू शंकर से ॥


भोले ने दिया है ये जीवन,

भोले के नाम पे है जीवन,

‘रविराज’ के दिल में है शंकर,

ऐसे ही नहीं चलती धड़कन,

हर सांस पे उनके पहरे है,

सब रस्ते उनपे ठहरे है,

मेरे सब दिन रात सुनहरे है,

मैं और क्या मांगू शंकर से,

मैं शिव का हूँ शिव मेरे हैं,

मैं और क्या मांगू शंकर से ॥


मैं शिव का हूँ शिव मेरे है,

मैं और क्या मांगू शंकर से,

मेरे मन में उनके डेरे है,

मैं और क्या मांगू शंकर से,

मैं शिव का हूँ शिव मेरे हैं,

मैं और क्या मांगू शंकर से ॥

मां भुवनेश्वरी जयंती (Maa Bhuvaneshwari Jayanti)

जब दुर्गम राक्षस का वध करने मां ने धारण किया भुवनेश्वरी रूप, पूजा विधि के साथ जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

श्री शिवमहिम्न स्तोत्रम्

महिम्नः पारन्ते परमविदुषो यद्यसदृशी।
स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिरः॥

जिसकी लागी लगन भोलेनाथ से (Jiski Lagi Lagan Bholenath Se)

जिसकी लागी लगन भोलेनाथ से,
वो डरता नहीं किसी बात से,

धनतेरस व्रत कथा: माता लक्ष्मी और किसान की कहानी (Mata Laxmi aur kisan ki kahani: Dhanteras ki vrat Katha)

एक बार भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता पृथ्वी लोक पर घूम रहे थे। विष्णु जी किसी काम से दक्षिण दिशा की ओर चले गए और लक्ष्मी माता को वहीं पर रूकने के लिए कहा।