नवीनतम लेख

मनाओ जी गणेश भक्तो(Manao Ji Ganesh Bhakto)

गौरा माता दी अख दा तारा,

शिव शंकर दा राजदुलारा,

मनाओ जी गणेश भक्तो,

मनाओ जी गणेश भक्तों ॥


मत्थे चन्दन तिलक सुहावे,

गल पुष्पा दी माला पावे,

चढ़े पान फूल संग मेवा,

करे संतन रल मिल सेवा,

मनाओ जी गणेश भक्तों,

मनाओ जी गणेश भक्तों ॥


सब तो पेहला होंदी पूजा,

गणपति वरगा देव ना दूजा,

काम बिगड़े ऐ सबदे बणोंदा,

झोली जग सारे आदे भरोंदा,

मनाओ जी गणेश भक्तों,

मनाओ जी गणेश भक्तों ॥


राजू वि हरिपुरिया बोले,

गावे सलीम ना कदे वि डोले,

आवो पुजले एक मन होके,

ऐ दी चरणी आन खलोके,

मनाओ जी गणेश भक्तों,

मनाओ जी गणेश भक्तों ॥


गौरा माता दी अख दा तारा,

शिव शंकर दा राजदुलारा,

मनाओ जी गणेश भक्तो,

मनाओ जी गणेश भक्तों ॥

भगवान शिव क्यों बने थे भिखारी

संसार के सभी जीव-जंतु जीवित रहने हेतु भोजन पर निर्भर रहते हैं। सनातन हिंदू धर्म में देवी अन्नपूर्णा को अन्न के भंडार और इसकी पूर्ति करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी अन्नपूर्णा की पूजा के पीछे एक पौराणिक कथा है।

शीश गंग अर्धंग पार्वती (Sheesh Gang Ardhang Parvati)

शीश गंग अर्धंग पार्वती,
सदा विराजत कैलासी ।

रुक्मिणी अष्टमी पूजा विधि

सनातन धर्म के लोगों की भगवान कृष्ण से खास आस्था जुड़ी है। कृष्ण जी को भगवान विष्णु का ही एक अवतार माना जाता है, जो धैर्य, करुणा और प्रेम के प्रतीक हैं।

सत्यनारायण पूजन विधि (Satyanarayan Puja Vidhi)

व्रत करने वाला पूर्णिमा व संक्रान्ति के दिन सायंकाल को स्नानादि से निवृत होकर पूजा-स्थान में आसन पर बैठ कर श्रद्धा पूर्वक गौरी, गणेश, वरूण, विष्णु आदि सब देवताओं का ध्यान करके पूजन करें और संकल्प करें कि मैं सत्यनारायण स्वामी का पूजन तथा कथा-श्रवण सदैव करूंगा ।

यह भी जाने