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घर में आओ लक्ष्मी माता (Mere Ghar Aao Laxmi Maa)

घर में आओ लक्ष्मी माता,

आओ पधारो श्री गणराजा ।

घर में आओ लक्ष्मी माता,

आओ पधारो श्री गणराजा ॥


दीवाली का त्यौहार आया,

हमने घर को दीपो से सजाया ।

माँ मेरे घर आना भक्तो को भूल न जाना,

सबके घर में चरण धर जाना ॥


घर में आओ लक्ष्मी माता ।

आओ पधारो श्री गणराजा ॥


धन की देवी सबको दौलत देती,

दीवाली का उपहार देती ।

हो खुशिया देती उमंगें देती,

सुखो का संसार देती ।

माँ मेरे घर आना खुशियों से इससे सजाना,

पावन भक्तो का घर कर जाना ॥


घर में आओ लक्ष्मी माता ।

आओ पधारो श्री गणराजा ॥


कमला सन माँ सबपे ममता लुटाती,

देवा गणपति है मंगल मूर्ती ओ,

लक्ष्मी माँ भंडारे भारती,

देवा है कामना पूर्ति ।

माँ मेरे घर आना हाथ जोडू भूल न जाना,

खाली झोली सभी की भर जाना ॥


घर में आओ लक्ष्मी माता ।

आओ पधारो श्री गणराजा ॥


दीवाली का त्यौहार आया,

हमने घर को दीपो से सजाया ।

माँ मेरे घर आना भक्तो को भूल न जाना,

सबके घर में चरण धर जाना ॥

सियारानी का अचल सुहाग रहे - भजन (Bhajan: Siyarani Ka Achal Suhag Rahe)

मेरे मिथिला देश में, आओ दूल्हा भेष ।
ताते यही उपासना, चाहिए हमें हमेशा ॥

नर्मदा जयंती उपाय

गंगा नदी की तरह ही मां नर्मदा को भी बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। भारत में छोटी-बड़ी 200 से अधिक नदियां हैं, जिसमें पांच बड़ी नदियों में नर्मदा भी एक है। इतना ही नहीं, मान्यता है कि नर्मदा के स्पर्श से ही पाप मिट जाते हैं। इसलिए, प्रतिवर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती मनाई जाती है।

मार्गशीर्ष की अशुभ तिथियां

धार्मिक मान्यता है मार्ग शीर्ष का माह भगवान श्री कृष्ण को अधिक प्रिय माना जाता है। यही वजह है कि इस दौरान तामसिक भोजन ना करने की सलाह भी धार्मिक ग्रंथो में दी जाती है।

हरियाली तीज (Hariyali Teej)

हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। हरियाली तीज का अर्थ है "हरियाली की तीज" या "हरित तीज"। यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह त्योहार मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली का प्रवेश होता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।

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