नवीनतम लेख

मेरी वैष्णो मैया, तेरी महिमा अपरम्पार (Meri Vaishno Maiya Teri Mahima Aprampar)

मेरी वैष्णो मैया,

तेरी महिमा अपरम्पार,

कलियुग में हर प्राणी के,

कलियुग में हर प्राणी के,

पापो का करो उद्धार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥


हर एक प्राणी परलोक सवारे,

तेरे चरण में अपने पाप उतारे,

हर एक प्राणी परलोक सवारे,

तेरे चरण में अपने पाप उतारे,

करुणामई तू सबके पापो,

का करती संहार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥


ध्यानु भगत माँ तेरा गुण गाया,

तूने प्रेम अपना सारे भक्तो पे लूटाया,

ध्यानु भगत माँ तेरा गुण गाया,

श्रीधर सेवक को तूने गले से लगाया,

धन्य है तेरी कृपा मैया,

धन्य है तेरा प्यार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥


उँचे पहाड़ा बैठी वैष्णो भवानी,

कठिन चढ़ाई चढ़के आए कल्याणी,

उँचे पहाड़ा बैठी वैष्णो भवानी,

कठिन चढ़ाई चढ़के आए कल्याणी,

तेरे दर्शन मात्र से मैया,

सुख पाए संसार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥


ज्ञान जगा दो अब तो हम सबका माँ,

कायम रख सके भक्त की गरिमा,

ज्ञान जगा दो अब तो हम सबका माँ,

कायम रख सके भक्त की गरिमा,

‘देवेंद्र’ ‘कैलाश’ की माँ है,

हृदय से ये पुकार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥


मेरी वैष्णो मैया,

तेरी महिमा अपरम्पार,

कलियुग में हर प्राणी के,

कलियुग में हर प्राणी के,

पापो का करो उद्धार,

मेरी वैष्णो मईया,

तेरी महिमा अपरम्पार ॥

चुटकी बजाये हनुमान, प्रभु का करे ध्यान (Chutki Bajaye Hanuman, Prabhu Ka Kare Dhyan)

चुटकी बजाये हनुमान,
प्रभु का करे ध्यान,

नौरता की रात मैया, गरबे रमवा आणो है (Norta ki Raat Maiya Garba Rambwa Aano Hai)

नौरता की रात मैया,
गरबे रमवा आणो है,

भीष्म पितामह का अंतिम संस्कार

माघ मास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी कहते हैं। इसे तिल द्वादशी भी कहते हैं। भीष्म द्वादशी को माघ शुक्ल द्वादशी नाम से भी जाना जाता है।

प्रदोष व्रत पर क्या करें या न करें

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक महीने में दो बार, त्रयोदशी तिथि को (स्नान, दिन और रात के समय के अनुसार) किया जाता है, एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में।

यह भी जाने