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मेरी विपदा टाल दो आकर (Meri Vipda Taal Do Aakar)

मेरी विपदा टाल दो आकर,

हे जग जननी माता ॥


तू वरदानी है,

आद भवानी है,

माँ तू वरदानी है,

आद भवानी है,

क्या में तेरा लाल नहीं हूँ,

क्या तू माँ नहीं मेरी,

फिर क्यों लगाई देरी,

तू ही कहदे है ये कैसा,

माँ बेटे का नाता,

शेरों वाली माता,

शेरों वाली माता ॥


में अज्ञानी हूँ,

मूरख प्राणी हूँ,

माँ में अज्ञानी हूँ,

मूरख प्राणी हूँ,

जिस पर भी तुमने,

ओ मेरी मैया,

दृष्टि दया की डाली,

उसकी मिटी कंगाली,

तेरे दर पे आकर प्राणी,

मुँह माँगा वर पाता,

मेहरो वाली माता,

हे जग जननी माता ॥


मात भवानी हो,

जग कल्याणी हो,

माँ मात भवानी हो,

जग कल्याणी हो,

लख्खा तेरे दर पे आया,

धूल चरण की पाने,

सोया भाग्य जगाने,

तेरी चौखट छोड़ के शर्मा,

और कहाँ अब जाता,

हे जग जननी माता ॥


मेरी विपदा टाल दो आकर,

हे जग जननी माता,

शेरों वाली माता,

मेहरो वाली माता ॥


चाहे सुख हो दुःख हो, एक ही नाम बोलो जी (Chahe Sukh Ho Dukh Ho Ek Hi Naam Bolo Ji)

चाहे सुख हो दुःख हो,
एक ही नाम बोलो जी,

मैया कृपा करदो झोली मेरी भरदो (Maiya Kripa Kar Do Jholi Meri Bhar Do)

मैया कृपा करदो,
झोली मेरी भरदो ।

होलिका दहन की राख शुभ है या अशुभ?

होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत और भक्ति की शक्ति को दर्शाता है। कुछ जगह मान्यता है कि होलिका में राक्षस हिरण्यकश्युप की बहन होलिका जल गईं थीं इसलिए ये अशुभता का प्रतीक है।

गुरुवायुर एकादशी मंदिर की पौराणिक कथा

"दक्षिण का स्वर्ग" कहे जाने वाले अतिसुन्दर राज्य केरल में गुरुवायुर एकादशी का पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। यह पर्व गुरुवायुर कृष्ण मंदिर में विशेष रूप से मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।

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