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मोहे मुरली बना लेना(Mohe Murli Bana Lena)

कान्हा मेरी सांसो पे,

नाम अपना लिखा लेना,

फिर जो जन्म लूँ मैं,

मोहे मुरली बना लेना,

कान्हा मेरी सांसो पे,

नाम अपना लिखा लेना ॥


मेरी यही अर्जी है,

आगे तेरी मर्जी है,

रंगे जिस रंग राधा,

उस रंग में रंगा लेना,

मैंने तोहे पलको के,

पलने झुलाए है,

सांवरे मोहे अपने,

हाथो में झूला लेना,

फिर जो जन्म लूँ मैं,

मोंहे मुरली बना लेना,

कान्हा मेरी सांसो पे,

नाम अपना लिखा लेना ॥


दिखे तस्वीर तेरी,

कान्हा मेरी अँखियों में,

मुझे मेरी सखियों के,

तानो से बचा लेना,

जन्मो की ये तृष्णा,

ऐसे ना मिटेगी कृष्णा,

प्रेम से निहार के मोहे,

अधरों से लगा लेना,

फिर जो जन्म लूँ मैं,

मोंहे मुरली बना लेना,

कान्हा मेरी सांसो पे,

नाम अपना लिखा लेना ॥


मोहे मोह माया की,

धुप ना छू पाए,

प्यारे पीताम्बरी की,

छैया में छुपा लेना,

‘मेनका’ ने मन मोहन,

तुझमे रमाया है,

तेरे संग प्रीत लगी,

अब दुनिया से क्या लेना,

फिर जो जन्म लूँ मैं,

मोंहे मुरली बना लेना,

कान्हा मेरी सांसो पे,

नाम अपना लिखा लेना ॥


कान्हा मेरी सांसो पे,

नाम अपना लिखा लेना,

फिर जो जन्म लूँ मैं,

मोहे मुरली बना लेना,

कान्हा मेरी सांसो पे,

नाम अपना लिखा लेना ॥

मेरी मैया ने ओढ़ी लाल चुनरी (Meri Maiya Ne Odhi Laal Chunari)

मेरी मैया ने ओढ़ी लाल चुनरी,
हीरो मोती जड़ी गोटेदार चुनरी,

होली और रंगों का अनोखा रिश्ता

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि ये खुशियां, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर त्योहार मनाते हैं। लेकिन क्या आपने ये कभी सोचा है कि होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है, जो भगवान श्रीकृष्ण और प्रह्लाद से जुड़ी है।

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे मंगलकारी योग

सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की आराधना कर सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शुभ फल प्राप्त होते हैं।

रखो हाथ ढाल तलवार मजबूती, जगदम्बा(Rakho Hath Dhal Talwar Majbuti Jagdamba)

रखो हाथ ढाल तलवार मुठ मजबूती,
मुठ मजबूती ए धरदे रे जगदम्बा,

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