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मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना (Mujhe Ras Agaya Hai Tere Dar Pe Sar Jhukana)

मुझे रास आ गया है,

तेरे दर पे सर झुकाना ।

तुझे मिल गया पुजारी,

मुझे मिल गया ठिकाना ॥


मुझे कौन जानता था,

तेरी बंदगी से पहले ।

तेरी याद ने बना दी,

मेरी ज़िन्दगी फ़साना ॥


मुझे इसका गम नहीं है,

की बदल गया ज़माना ।

मेरी ज़िन्दगी के मालिक,

कहीं तुम बदल न जाना ॥


यह सर वो सर नहीं है,

जिसे रख दूँ फिर उठा लूं ।

जब चढ़ गया चरण में,

आता नहीं उठाना ॥


तेरी सांवरी सी सुरत,

मेरे मन में बस गयी है ।

ऐ सांवरे सलोने,

अब और ना सताना ॥


दुनियां की खा के ठोकर,

मैं आया तेरे द्वारे ।

मेरे मुरली वाले मोहन,

अब और ना सताना ॥


मेरी आरजु यही है,

दम निकले तेरे दर पे ।

अभी सांस चल रही है,

कहीं तुम चले ना जाना ॥


भगवान बुद्ध वन्दना (Bhagwan Buddha Vandana)

नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स ।
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा सम्बुद्धस्स ।

इस योग्य हम कहाँ हैं, गुरुवर तुम्हें रिझाये(Is Yogya Ham Kahan Hain, Guruwar Tumhen Rijhayen)

इस योग्य हम कहाँ हैं
इस योग्य हम कहाँ हैं,

थारो खूब सज्यो दरबार, म्हारा बालाजी सरकार (Tharo Khub Sajyo Darbar Mhara Balaji Sarkar)

थारो खूब सज्यो दरबार,
म्हारा बालाजी सरकार,

होलाष्टक पर भूलकर भी ना करें ये गलती

होलाष्टक की तिथि शुभ कार्य के लिए उचित नहीं मानी जाती है, इन तिथियों के अनुसार इस समय कुछ कार्य करने से सख्त मनाही होती है। क्योंकि इन्हीं दिनों में भक्त प्रह्लाद पर उनके पिता हिरण्यकश्यप ने बहुत अत्याचार किया था।