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नमो नमो(Namo Namo)

नमो नमो नमो नमो ॥

श्लोक – सतसाँच श्री निवास,

आद तू रख सदा तू ही,

तू ही, तू ही, तू ही, तू ही,

तू ही, तू ह ॥


नमो, नमो, नमो, नमो, नमो, नमो,

नमो विश्वकर्ता, नमो विघ्नहरता,

नमो शांताकारम, नमो निर्विकारम ॥


नमो विश्वकर्ता, नमो विघ्नहरता,

नमो शांताकारम, नमो निर्विकारम,

ये धरती ये अम्बर,

ये दरिया समंदर

ये दिलकश नज़ारे,

सभी है तुम्हारे,

नमो, नमो, नमो, नमो, नमो, नमो ॥


ये चलती हवायें,

महकती दिशाएँ,

ये साँसों की हलचल,

कहती है पल पल,

ये चलती हवायें,

महकती दिशाएँ,

ये साँसों की हलचल,

कहती है पल पल,

तू नित्यं अनुपम,

सदा सत्य दिव्यम,

मनो प्रेमरूपम नमो विश्वरूपम,

नमो, नमो, नमो, नमो, नमो, नमो ॥


तू ही सबसे अफ़सल,

तू सबसे आला,

तेरे ही दम से जहाँ में उजाला,

ज़मीनो फलक,

चाँद सूरज सितारे,

हर एक ज़र्रे में जलवे तुम्हारे,

नमो, नमो, नमो, नमो, नमो, नमो ॥


महाकाल काले, दिगंबर निराले,

दिग दिग भ्रमता, अनादि अनंता,

महाकाल काले, दिगंबर निराले,

दिग दिग भ्रमता, अनादि अनंता,

नमो श्रष्टि रूपम,

नमो वृष्टि रूपम,

नमो जल स्वरूपम,

नमो व्रक्ष रूपम,

नमो, नमो, नमो, नमो, नमो, नमो ॥


नमो विश्वकर्ता, नमो विघ्नहरता,

नमो शांताकारम, नमो निर्विकारम,

ये धरती ये अम्बर,

ये दरिया समंदर ये,

दिलकश नज़ारे,

सभी है तुम्हारे,

नमो, नमो, नमो, नमो, नमो, नमो ॥

गुड़ी पड़वा क्यों मनाया जाता है

गुड़ी पड़वा मुख्य रूप से चैत्र माह में नवरात्रि की प्रतिपदा के दिन मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इसी दिन से नववर्ष की शुरुआत भी होती है। इस साल गुड़ी पड़वा 30 मार्च, रविवार को मनाई जाएगी और इसी दिन चैत्र नवरात्रि भी शुरू होगी।

ब्रह्मन्! स्वराष्ट्र में हों, द्विज ब्रह्म तेजधारी (Brahman Swarastra Mein Hon)

वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।

सामा-चकेवा और मुढ़ी-बतासे

सामा-चकेवा मिथिलांचल में भाई-बहन के प्रेम और अपनत्व का प्रतीक है। यह पर्व कार्तिक शुक्ल सप्तमी से कार्तिक पूर्णिमा तक नौ दिन चलता है।

सरस्वती नदी की पूजा कैसे करें?

सरस्वती नदी का उल्लेख विशेष रूप से ऋग्वेद, महाभारत, और विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में किया गया है। वेदों में इसे एक दिव्य नदी के रूप में पूजा गया है और यह ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती से जुड़ी हुई मानी जाती है।

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