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नंदभवन में उड़ रही धूल(Nand Bhavan Me Ud Rahi Dhul)

नंदभवन में उड़ रही धूल,

धूल मोहे प्यारी लगे ॥


उड़ उड़ धूल मेरे माथे पे आवे,

उड़ उड़ धूल मेरे माथे पे आवे,

मैंने तिलक लगाए भरपूर,

धूल मोहे प्यारी लगे,

नँदभवन में उड़ रही धूल,

धूल मोहे प्यारी लगे ॥


उड़ उड़ धूल मेरे नैनन पे आवे,

उड़ उड़ धूल मेरे नैनन पे आवे,

मैंने दर्शन करे भरपूर,

धूल मोहे प्यारी लगे,

नँदभवन में उड़ रही धूल,

धूल मोहे प्यारी लगे ॥


उड़ उड़ धूल मेरे होठों पे आवे,

उड़ उड़ धूल मेरे होठों पे आवे,

मैंने भजन गाए भरपूर,

धूल मोहे प्यारी लगे,

नँदभवन में उड़ रही धूल,

धूल मोहे प्यारी लगे ॥


उड़ उड़ धूल मेरे हाथन पे आवे,

उड़ उड़ धूल मेरे हाथन पे आवे,

मैंने ताली बजाई भरपूर,

धूल मोहे प्यारी लगे,

नँदभवन में उड़ रही धूल,

धूल मोहे प्यारी लगे ॥


तीन लोक तीरथ नहीं,

जैसी ब्रज की धूल,

लिपटी देखी अंग सो,

भाग जाए यमदूत ।

मुक्ति कहे गोपाल सो,

मेरी मुक्ति बताए,

ब्रजरज उड़ माथे लगे,

मुक्ति भी मुक्त हो जाए ॥


उड़ उड़ धूल मेरे पैरन पे आवे,

उड़ उड़ धूल मेरे पैरन पे आवे,

मैंने परिक्रमा लगाई भरपूर,

धूल मोहे प्यारी लगे,

नँदभवन में उड़ रही धूल,

धूल मोहे प्यारी लगे ॥


नंदभवन में उड़ रही धूल,

धूल मोहे प्यारी लगे ॥

धरती गगन में होती है तेरी जय-जयकार (Dharti Gagan Mein Hoti Hai Teri Jay-Jayakar)

जय जय शेरा वाली मां, जय जय मेहरा वाली मां।
जय जय ज्योता वाली मां, जय जय लाता वाली मां।।

होली की पौराणिक कथाएँ

होली भारत का एक प्रमुख और रंगों से भरा त्योहार है। लेकिन ये केवल रंगों और उल्लास तक ही सीमित नहीं, होली का एक गहरा धार्मिक और पौराणिक महत्व भी है।

विधाता तू हमारा है - प्रार्थना (Vidhata Tu Hamara Hai: Prarthana)

विधाता तू हमारा है,
तू ही विज्ञान दाता है ।

दीदार, करने आया तेरे द्वार (Deedar Karne Aaya Tere Dwar)

कन्हैया का दीदार,
करने आया तेरे द्वार ॥

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