नवीनतम लेख

शिव शंकर तुम कैलाशपति (Shiv Shankar Tum Kailashpati)

शिव शंकर तुम कैलाशपति,

है शीश पे गंग विराज रही,

शिव शंकर तुम कैलाश-पति,

है शीश पे गंग विराज रही ॥


माथे पर चंद्र का मुकुट सजा,

और गल सर्पो की माला है,

माँ पारवती भगवती गौरा,

तेरे वाम अंग में साज रही,

शिव शंकर तुम कैलाश-पति,

है शीश पे गंग विराज रही ॥


शिव शंकर तुम कैलाश-पति,

है शीश पे गंग विराज रही ॥


ब्रम्हा को वेद दिए तुमने,

रावण को लंका दे डाली,

औघड़दानी शिव भोले की,

श्रष्टि जयकार बुलाय रही,

शिव शंकर तुम कैलाश-पति,

है शीश पे गंग विराज रही ॥


शिव शंकर तुम कैलाश-पति,

है शीश पे गंग विराज रही ॥


सोना चांदी हिरे मोती,

तुमको कुछ भी ना सुहाता है,

शिव लिंग पे जा सारी दुनिया,

एक लोटा जल तो चढ़ाय रही,

शिव शंकर तुम कैलाश-पति,

है शीश पे गंग विराज रही ॥


शिव शंकर तुम कैलाश-पति,

है शीश पे गंग विराज रही ॥


जीवन की एक तमन्ना है,

जीवन में एक ही आशा है,

तेरे चरणों में बीते जीवन,

यही आशा मन में समाय रही,

शिव शंकर तुम कैलाश-पति,

है शीश पे गंग विराज रही ॥


शिव शंकर तुम कैलाशपति,

है शीश पे गंग विराज रही,

शिव शंकर तुम कैलाश-पति,

है शीश पे गंग विराज रही ॥

मेरे बाबा मेरे महाकाल: शिव भजन (Mere Baba Mere Mahakal)

देवों के महादेव है कालों के ये काल,
दुनिया की बुरी नजरों से रखते मेरा ख्याल,

तेरे दर जबसे ओ भोले, आना जाना हो गया(Tere Dar Jab Se O Bhole Aana Jana Ho Gaya)

तेरे दर जबसे ओ भोले,
आना जाना हो गया,

गणगौर व्रत 2025 कब है

गणगौर व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं।

झूलेलाल जयंती क्यों और कैसे मनाए

झूलेलाल जयंती, जिसे चेटीचंड के नाम से भी जाना जाता है, सिंधी समुदाय के लिए एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन होता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जो हिंदू नववर्ष के प्रारंभिक दिनों में आता है।