राम को देखकर श्री जनक नंदिनी (Ram Ko Dekh Kar Shri Janak Nandini)

राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी, राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी,

बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं,

राम देखें सिया, माँ सिया राम को,

चार अँखियाँ लड़ी की लड़ी रह गयीं, 

राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी


१) थे जनकपुर गए देखने के लिए, सारी सखियाँ झरोंखन से झाँकन लगीं,

   देखते ही नजर मिल गयी दोनों की, जो जहाँ थी खड़ी की खड़ी रह गयीं,

   राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी


२) बोली है इक सखी राम को देखकर, रच दिए हैं विधाता ने जोड़ी सुघड़,

    पर धनुष कैसें तोड़ेंगे वारे कुंवर, मन में शंका बनी की बनी रह गयी,

    राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी


३) बोली दूजी सखी छोटे देखन में हैं, पर चमत्कार इनका नहीं जानती, 

    एक ही बाण में ताड़का राक्षसी, उठ सकी न पड़ी की पड़ी रह गयी, 

    राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी


राम को देखकर श्री जनक-नंदिनी,

बाग़ में जा खड़ी की खड़ी रह गयीं,

राम देखें सिया, माँ सिया राम को,

चार अँखियाँ लड़ी की लड़ी रह गयीं।। 


बोलिये सियावर रामचंद्र की जय

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प्रार्थना है यही मेरी हनुमान जी (Prarthana Hai Yahi Meri Hanuman Ji)

प्रार्थना है यही मेरी हनुमान जी,
मेरे सर पर भी अब हाथ धर दीजिए,

शिव पंचाक्षर स्तोत्र मंत्र (Shiv Panchakshar Stotram )

॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥ ॥ Shrishivpanchaksharastotram ॥
nagendraharay trilochanay,
bhasmangaragay maheshvaray .
nityay shuddhay digambaray,
tasmai na karay namah shivay .1.

जय राधे, जय कृष्ण, जय वृंदावन (Jaya Radhe Jaya Krishna Jaya Vrindavan)

जय राधे, जय कृष्ण, जय वृंदावन । श्री गोविंदा, गोपीनाथ, मदन-मोहन ॥

श्री राम धुन में मन तू (Sri Ram Dhun Mein Mann Tu)

श्री राम धुन में मन तू,
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