तन के तम्बूरे में, दो सांसो की तार बोले - भजन (Tan Ke Tambure Me Do Sanso Ki Tar Bole)

तन तम्बूरा, तार मन,

अद्भुत है ये साज ।

हरी के कर से बज रहा,

हरी ही है आवाज ।


तन के तम्बूरे में दो,

सांसो की तार बोले ।

जय सिया राम राम,

जय राधे श्याम श्याम ।


तन के तम्बूरे में दो,

सांसो की तार बोले ।

जय सिया राम राम,

जय राधे श्याम श्याम ।


अब तो इस मन के मंदिर में,

प्रभु का हुआ बसेरा ।

मगन हुआ मन मेरा,

छूटा जनम जनम का फेरा ।

मन की मुरलिया में,

सुर का सिंगार बोले ।

जय सिया राम राम,

जय राधे श्याम श्याम ।


तन के तम्बूरे में दो,

सांसो की तार बोले ।

जय सिया राम राम,

जय राधे श्याम श्याम ।


लगन लगी लीला धारी से,

जगी रे जगमग ज्योति ।

राम नाम का हीरा पाया,

श्याम नाम का मोती ।

प्यासी दो अंखियो में,

आंसुओ के धार बोले ।

जय सिया राम राम,

जय राधे श्याम श्याम ।


तन के तम्बूरे में दो,

सांसो की तार बोले ।

जय सिया राम राम,

जय राधे श्याम श्याम ।


तन के तम्बूरे में दो,

सांसो की तार बोले ।

जय सिया राम राम,

जय राधे श्याम श्याम ।

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भगवत गीता चालीसा ( Bhagwat Geeta Chalisa )

प्रथमहिं गुरुको शीश नवाऊँ | हरिचरणों में ध्यान लगाऊँ ||१||

बधाई भजन: बजे कुण्डलपर में बधाई, के नगरी में वीर जन्मे (Badhai Bhajan Baje Kundalpur Me Badayi Nagri Me Veer Janme)

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के नगरी में वीर जन्मे, महावीर जी

रंग पंचमी की कथा

रंग पंचमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और यह पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

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