ये होगा साल का सबसे छोटा दिन

साल का सबसे छोटा दिन, जानें क्या है 22 दिसंबर का धार्मिक महत्व


प्रत्येक साल में एक दिन सबसे छोटा होता है। दरअसल, इस दिन सूर्य धरती के दक्षिणी गोलार्ध में अपने चरम बिंदु पर होता है। ज्योतिष के अनुसार साल के सबसे छोटे दिन तक भगवान सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर चुके होते हैं। वहीं, 21 मार्च को दिन और रात बराबर होते हैं। वहीं, 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन होता है। जबकि, 22 दिसंबर को साल का सबसे छोटा दिन होता है। तो आइए इस आलेख में विस्तार से जानते हैं ऐसा क्यों होता है और इस संबंध में क्या हैं वैज्ञानिक तथ्‍य।


आत्मबल और सेहत को प्रभावित करता है ये दिन 


मकर संक्रांति भगवान सूर्य के उत्तरायण का प्रारंभ माना जाता है। यह पॉजिटिव एनर्जी का वक्त होता है। चूंकि, सूर्य को पृथ्वी पर जीवन का कारक ग्रह माना जाता है। साल के सबसे छोटे दिन सूर्य की एनर्जी काफी कम मनी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कमजोर सूर्य से आत्मबल और सेहत प्रभावित हो सकती है। 


सूर्य उपासना से मिलता है लाभ 


साल के सबसे छोटे दिन में सूर्य उपासना का विशेष महत्व है। ये समय अध्यात्म और ज्ञान दोनों के ही लिहाज से अति उत्तम माना गया है। क्योंकि, इस समय तक सूर्य का धनु राशि में गोचर हो चुका होता है और ये राशि गुरु बृहस्पति के प्रभाव में होती है। इस दौरान धार्मिक कार्य, जाप और पूजन विशेष फलदायी होता है। 


साल के सबसे छोटे दिन पर जरूर करें ये कार्य


साल का सबसे छोटा दिन अंधेरे से उजाले की और बढ़ने का प्रतीक भी माना जाता है। इस समय नेगिटिव एनर्जी, आदतों को छोड़ देना चाहिए और जीवन में नया संकल्प लेना चाहिए। साल के सबसे छोटे दिन दान भी किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन अन्न, वस्त्र एवं धन का दान करना शुभ माना जाता है। कमजोर सूर्य को बल देने के लिए इस दिन ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए। साथ ही इस दिन गायत्री मंत्र के जप से भी साधक को लाभ मिलता है। वहीं, आयुर्वेद के मुताबिक साल के सबसे छोटे दिन शारीरिक शुद्धता और आने वाली सर्दी से बचने के भी संकेत प्राप्त होते हैं। सूर्य के कमजोर होने के चलते शरीर में एनर्जी कम हो सकती है। इसलिए, इस दिन सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।


........................................................................................................
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी स्त्रोत

पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

बड़े मान से जमाना, माँ तुमको पूजता है (Bade Maan Se Zamana Maa Tujhe Pujata Hai)

बड़े मान से जमाना,
माँ तुमको पूजता है,

कैसे शुरू हुई होलिका दहन की प्रथा

होली का पर्व रंगों और उमंग के साथ-साथ धार्मिक आस्था से भी जुड़ा हुआ है। होलिका दहन की परंपरा हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

मैली चादर ओढ़ के कैसे - भजन (Maili Chadar Odh Ke Kaise)

मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने