कुंभ संक्रांति के दिन दान

कुंभ संक्रांति के दिन जरूर करें इन 3 चीजों का दान, मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान  


हिंदू धर्म में, सूर्य देव के राशि परिवर्तन को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य जब दूसरे राशि में प्रवेश करते हैं, तब इसे संक्रांति कहा जाता है। दरअसल, सूर्य जिस राशि में प्रवेश कर सकते हैं, उस दिन को उसी राशि के संक्रांति के नाम से जाना जाता है। 12 फरवरी से कुंभ संक्रांति शुरू हो रही है। इस दिन पितृ दोष और कर्ज से मुक्ति के लिए भी कुछ चीजों का दान किया जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में कुंभ संक्रांति के दिन क्या-क्या दान करना चाहिए इसके बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं। 

कब होगा सूर्य का कुंभ राशि में प्रवेश? 


हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल 12 फरवरी को रात 10 बजकर 04 मिनट पर सूर्य देव कुंभ राशि में जाएंगे, लेकिन उदयातिथि के अनुसार, 13 फरवरी को कुंभ संक्रांति मनाया जाएगा। कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान-दान के कार्य शुभ माने जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन पितरों की आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। 

जानिए किन चीजों का करना चाहिए दान? 


  1. अन्न का करें दान:- कुंभ संक्रांति के दिन आटा, तेल, नमक,चावल, घी, गुड़ जैसे वस्तुओं का दान अवश्य करना चाहिए। इन चीजों का दान मंदिर अथवा घाट में दान कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और कार्यों में आ रही बाधाएं समाप्त होती है।
  2. वस्त्रों का करें दान:- कुंभ संक्रांति के दिन गरीब और जरूरतमंदों को वस्त्र का दान कर सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से अनेक प्रकार के दोषों से मुक्ति मिती है और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
  3. तिल का करें दान:- पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए कुंभ संक्रांति के दिन काला तिल दान कर सकते हैं। मान्यता है कि इस तांबे से निर्मित वस्तु का दान करने से मंगल और सूर्य से संबंधित दोष दूर होते हैं।

क्यों महत्त्वपूर्ण माना जाता है कुंभ संक्रांति? 


महाकुंभ हिंदू धर्म के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है। महाकुंभ के दौरान देश विदेशों से करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। 2025 के मकर संक्रांति के मौके पर करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा चुके हैं। बता दें कि, महाकुंभ में डुबकी लगाने से कई पाप धुल जाते हैं और देव-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। हालांकि, महाकुंभ स्नान करने के बाद कुछ  दान करना जरूरी है। ऐसा करने से ही शुभ फल मिलते हैं और पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

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