मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि

मासिक शिवरात्रि पर इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, चढ़ाएं ये प्रिय भोग 


मासिक शिवरात्रि व्रत काफ़ी शुभ माना जाता है। यह त्योहार हर मास कृष्ण पक्ष के 14वें दिन मनाया जाता है। इस बार यह व्रत शुक्रवार, 29 नवंबर 2024 के दिन मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भक्त इस तिथि पर व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं, उन्हें सुख-शांति और धन-वैभव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा जाता है कि शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए यह व्रत काफ़ी महत्वपूर्ण है। तो आइए इस आलेख में विस्तार से मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि और पूजन का लाभ जानते हैं।


मासिक शिवरात्रि की पूजा मुहूर्त 


पंचांग के अनुसार विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 54 मिनट से 02 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। फिर गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 43 मिनट से 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। वहीं, रात्रि 11 बजकर 33 मिनट से मध्य रात्रि 12 बजकर 27 मिनट तक लगभग 54 मिनट का निशिता काल पूजा का शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहा है। इस दौरान भक्त शिव-पार्वती की पूजा कर सकते हैं।


शिव जी के प्रिय भोग और फूल


  • सफेद मिठाई, 
  • मालपुआ, 
  • लस्सी इत्यादि।
  • आक और मदार के फूल।


मासिक शिवरात्रि की पूजा विधि 


  1. भक्त सुबह उठकर स्नान करें। 
  2. फिर व्रत संकल्प शिव जी के समक्ष लें। एक वेदी पर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें और विधि अनुसार उनकी पूजा करें।
  3. प्रतिमा हो तो पंचामृत से स्नान करवाएं। और भोलेनाथ को सफेद चंदन का तिलक लगाएं। साथ ही माता पार्वती को कुमकुम अर्पित करें। 
  4. गाय के घी का दीपक जलाएं। 
  5. खीर का भोग लगाएं। इसके साथ ही गुड़हल और सफेद फूलों की माला अर्पित करें। और शिव जी को बेलपत्र भी चढ़ाएं। 
  6. शिव तांडव स्तोत्र, शिव चालीसा का पाठ करें। 
  7. अब आरती से पूजा को पूर्ण करें। 
  8. पूजन में हुई गलतियों के लिए क्षमायाचना करें। 
  9. व्रती अगले दिन अपने व्रत का पारण करें।


शिव जी को प्रसन्न करने का मंत्र 


ॐ नमः शिवाय:।।

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहितन्नो रुद्रः प्रचोदयात्:।।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्:।।


........................................................................................................
प्रदोष व्रत चालीसा

हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है, जो भगवान शिव की पूजा को समर्पित होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रदोष व्रत कन्याओं के लिए बेहद खास होता है, इस दिन भोलेनाथ की उपासना करने और व्रत रखने से मनचाहा वर पाने की कामना पूरी होती हैं।

सब धामों से धाम निराला, श्री वृन्दावन धाम(Sab Dhamo Se Dham Nirala Shri Vrindavan Dham)

सब धामों से धाम निराला,
श्री वृन्दावन धाम,

अयोध्या सज रही सारी, अवध में राम आये है (Ayodhya Saj Rahi Saari, Awadh Me Ram Aaye Hai)

खुशी सबको मिली भारी,
अवध में राम आये है,

आदित्य हृदय स्तोत्रम् (Aditya Hridaya Stotram)

ॐ अस्य आदित्यह्रदय स्तोत्रस्य, aaditya hriday stotra

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने