अक्टूबर में इस दिन पड़ेगी विनायक चतुर्थी, जानें इस दिन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

हिंदू कैलेंडर में प्रत्येक चंद्र मास में दो चतुर्थी होती हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित हैं। ये दो चतुर्थी हैं:


विनायक चतुर्थी: अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी।

संकष्टी चतुर्थी: पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी।


हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की तिथि है, जो ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी दोनों ही भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के अवसर हैं। बता दें कि अक्टूबर माह में 6 तारीख को विनायक चतुर्थी की पूजा की जाएगी। इस दौरान भक्त बुद्धि के दाता के लिए व्रत भी रखते हैं। हालांकि विनायक चतुर्थी का व्रत हर महीने में होता है लेकिन सबसे मुख्य विनायक चतुर्थी का व्रत भाद्रपद के महीने में होता है। भाद्रपद के दौरान पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। सम्पूर्ण विश्व में गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।


विनायक चतुर्थी पर ज्ञान,धैर्य का आशीर्वाद



विनायक चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का अवसर है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त होती है। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से सभी बाधाओं का नाश होता है। विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं। जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं। ज्ञान और धैर्य दो ऐसे नैतिक गुण है जिसका महत्व सदियों से मनुष्य को ज्ञात है। जिस मनुष्य के पास यह गुण हैं वह जीवन में काफी उन्नति करता है और मनवांछित फल प्राप्त करता है।


विनायक चतुर्थी के शुभ मुहूर्त 



पंचांग के अनुसार आश्विन शुक्ल चतुर्थी या विनायक चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 49 मिनट पर होगी। इसका समापन 7 अक्टूबर की सुबह 9 बजकर 47 मिनट पर होगा।  हिंदू कैलेण्डर के अनुसार विनायक चतुर्थी के दिन गणेश पूजा दोपहर को मध्याह्न काल के दौरान की जाती है। दोपहर में भगवान गणेश की पूजा का मुहूर्त है- 


अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:54 बजे से दोपहर 12:41 बजे तक 

अमृत काल मुहूर्त - दोपहर 02:25 बजे से शाम 04:12 बजे तक 


नोट: यह जानना महत्वपूर्ण है कि विनायक चतुर्थी के उपवास का दिन दो शहरों के लिए अलग-अलग हो सकता है। यह जरुरी नहीं है कि दोनों शहर अलग-अलग देशों में हों क्योंकि यह बात भारत वर्ष के दो शहरों के लिए भी मान्य है। विनायक चतुर्थी के लिए उपवास का दिन सूर्योदय और सूर्यास्त पर निर्भर करता है और जिस दिन मध्याह्न काल के दौरान चतुर्थी तिथि प्रबल होती है उस दिन विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इसीलिए कभी कभी विनायक चतुर्थी का व्रत, चतुर्थी तिथि से एक दिन पूर्व, तृतीया तिथि के दिन पड़ जाता है।


विनायक चतुर्थी पूजा विधि 



  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  2. घर को साफ और सजा लें।
  3. पूजा स्थल पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  4. भगवान गणेश को स्नान कराएं और उन्हें नए वस्त्र पहनाएं।
  5. भगवान गणेश को सिंदूर, हल्दी, और चंदन लगाएं।
  6. भगवान गणेश को फल, फूल, और मिठाई का भोग लगाएं।
  7. भगवान गणेश की आरती करें और उनकी पूजा करें।
  8. विनायक चतुर्थी की कथा पढ़ें या सुनें।


विनायक चतुर्थी व्रत के लाभ


  1. विनायक चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा से ज्ञान और बुद्धि प्राप्त होती है।
  2. विनायक चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा से समृद्धि और सुख प्राप्त होता है।
  3. विनायक चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश विघ्नों का नाश करते हैं और जीवन में सुख और समृद्धि लाते हैं।
  4. विनायक चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा से मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
  5. विनायक चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा से स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त होती है।
  6. विनायक चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  7. विनायक चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा से पापों की क्षमा होती है।
  8. विनायक चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है।
  9. विनायक चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा से करियर में सफलता प्राप्त होती है।
  10. विनायक चतुर्थी व्रत करने से भगवान गणेश की कृपा से पारिवारिक सुख प्राप्त होता है। 


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