मंत्र जाप की सही विधि

इस विधि से जाप करेंगे तो मिलेगा सिद्धि का मार्ग, जानिए क्या है उचित विधि


हिंदू धर्म में मंत्र जाप का विशेष महत्व है। यह साधना का एक सशक्त माध्यम है, जो साधक को मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। इसके अलावा नित्य रूप से मंत्र जाप करने से जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। लेकिन, मंत्र जाप तभी फलदायी होता है जब इसे सही विधि और नियमों के साथ पूर्ण किया जाए। इस लेख में हम आपको बताएंगे मंत्र जाप की सही विधि, इसके दौरान ध्यान रखने योग्य यम और नियम  और यह कैसे आपकी साधना को प्रभावी बना सकता है। आइए, मंत्र जाप के इस गहन विषय को इस लेख में सरलता से समझते हैं।


मंत्र जाप आरंभ करने की सही विधि


  1. श्री गुरु से मंत्र दीक्षा लें:- मंत्र जाप शुरू करने से पहले किसी योग्य गुरु से मंत्र दीक्षा लेना आवश्यक है। मान्यता है कि गुरु के मार्गदर्शन में किया गया मंत्र जाप अधिक प्रभावशाली होता है।
  2. स्थान का चयन:- मंत्र के जाप हेतु एकांत, शांत और पवित्र स्थान को चुनें। नदी के किनारे, मंदिर या शिवालय जैसे स्थान इसके लिए आदर्श माने जाते हैं। अगर ऐसा स्थान उपलब्ध नहीं हो तो अपने घर में एक विशेष पूजा स्थल बनाएं। पूजा स्थल पर देवताओं, तीर्थों और संतों की तस्वीर लगा सकते हैं। 
  3. तैयारी और आसन:- स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और कपाट पर चंदन या भस्म लगाएं। आसन के लिए कुश, ऊनी कपड़े इत्यादि का प्रयोग करें। इसके बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। 
  4. प्रारंभिक पूजा:- सर्वप्रथम अपने इष्ट देव और गुरु का स्मरण करें। जो नित्य कर्म करते हैं वे संध्या-वंदन और सूर्य को अर्घ्य देने के बाद जाप करें। जो संध्या-वंदन नहीं जानते वे गंगा, नर्मदा या फिर किसी अन्य पवित्र नदी का नाम लेकर शरीर पर जल छिड़कें।
  5. आसन और मुद्रा:- जाप के दौरान स्वस्तिक, पद्मासन या सिद्धासन में बैठें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। प्राणायाम करें और अपनी श्वास को संतुलित करने का प्रयास करें। 
  6. माला का उपयोग:- माला को शुद्ध जल से धोकर ही उपयोग में लाएं। माला को दाहिने हाथ में रखें। माला के मोतियों को अंगूठे और तर्जनी के पोर से फेरें। माला को नाभि से नीचे और नाक से ऊपर ना रखें।
  7. जाप की प्रक्रिया:- मंत्रोच्चारण की गति समान रखें। मानसिक, वाचिक या उपांशु जप करें। माला फेरते समय मेरु-मणि यानी माला के अंतिम मोती को पार नहीं करें। वहां पहुंचने पर फिर वापस लौट जाएं। जाप की संख्या निश्चित करें और उसे रोजाना पूरी करें।


जाप के दौरान ध्यान रखने योग्य नियम


  • मंत्र जाप के समय इधर-उधर नहीं देखें।
  • माला को सुरक्षित और साफ स्थल पर रखें।
  • प्लास्टिक की माला का उपयोग बिल्कुल ना करें। जाप के लिए तुलसी, चंदन अथवा रुद्राक्ष की माला श्रेष्ठ मानी जाती है। 
  • बिना संकल्प के मंत्र जाप नहीं करें।


मंत्र जाप के लाभ


  • मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति।
  • आत्मा और परमात्मा के बीच संबंध का जीवंत अनुभव।
  • जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह।
  • संपूर्ण आत्मज्ञान, आत्मबोध और आत्म शक्ति की प्राप्ति।


सिद्धि का मार्ग


मंत्र जाप के नियमों और विधियों का पालन करके कोई भी व्यक्ति आध्यात्मिक सिद्धि प्राप्त कर सकता है। अगर आप मंत्र जाप की शुरुआत करना चाहते हैं तो नियमित रूप से गीता, रामायण या भगवद्गीता के श्लोक पढ़ें और दिनभर उन पर मनन करें। संध्या में पूजा करें और सहस्रनाम का जाप करके सो जाएं। 


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कुंभ संक्रांति पौराणिक कथा

आत्मा के कारक सूर्य देव हर महीने अपना राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है।

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