ओ शेरावाली माँ, क्या खेल रचाया है (O Sherawali Maa Kya Khel Rachaya Hai)

ओ शेरावाली माँ,

क्या खेल रचाया है,

तू प्यार का सागर है,

तू मन का किनारा है,

ओ शेरावाली मां,

क्या खेल रचाया है ॥


देखि है तेरी दुनिया,

क्या रचना रचाई है,

दिन रात के चक्कर में,

कुछ समझ ना आई है,

हर पल जो बीत रहा,

माँ तेरा ईशारा है,

ओ शेरावाली मां,

क्या खेल रचाया है ॥


महलों में भी दुःख देखे,

और सड़को पे खुशहाली,

कोई राजा है किस्मत का,

कोई किस्मत से खाली,

सब तेरी लीला है,

सब तेरा फ़साना है,

ओ शेरावाली मां,

क्या खेल रचाया है ॥


कोई फूलों पे सो ना सके,

कोई कांटो में हँसता है,

कही मौत हुई सस्ती,

कही जीवन महंगा है,

कोई खुशियों में डूबा है,

कोई गम का मारा है,

ओ शेरावाली मां,

क्या खेल रचाया है ॥


कोई जन्म से पहले मरे,

कोई मर के भी जीता है,

कोई घाव लगाता है,

कोई जख्मों को सीता है,

ये कैसी हकीकत है,

ये कैसा नजारा है,

ओ शेरावाली मां,

क्या खेल रचाया है ॥


कोई दुःख को सुख समझे,

कोई सुख में भी रोता है,

आशा और तृष्णा का,

कभी अंत ना होता है,

इस भूल भुलैया में,

पड़ा दास बेचारा है,

ओ शेरावाली मां,

क्या खेल रचाया है ॥


ओ शेरावाली माँ,

क्या खेल रचाया है,

तू प्यार का सागर है,

तू मन का किनारा है,

ओ शेरावाली मां,

क्या खेल रचाया है ॥

........................................................................................................
हर सांस मे हो सुमिरन तेरा (Har Saans Me Ho Sumiran Tera)

हर सांस मे हो सुमिरन तेरा,
यु बित जाये जीवन मेरा,

शिव के रूप में आप विराजें, भोला शंकर नाथ जी (Shiv Ke Roop Mein Aap Viraje Bhola Shankar Nath Ji)

शिव के रूप में आप विराजे,
भोला शंकर नाथ जी ॥

देवता भी स्वार्थी थे, दौड़े अमृत के लिए (Dewata Bhi Swarthi The, Daude Amrat Ke Liye)

देवता भी स्वार्थी थे,
दौड़े अमृत के लिए,

फाल्गुन माह कालाष्टमी पूजा विधि

प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण और काल भैरव की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त अष्टमी का व्रत रखा जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने