शेरावाली का लगा है दरबार (Sherawali Ka Laga Hai Darbar)

शेरावाली का लगा है दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

मेहरवाली का सजा है दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

जयकारा माँ का जयकारा,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥


पर्वत की ऊँची सी चोटी,

चोटी ऊपर जगती ज्योति,

बैठी शेर पे होके सवार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥


ढम ढम ढोल नगाड़े बाजे,

झूम झूम के जोगन नाचे,

माँ की हो रही जय जयकार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥


बजरंगी माँ की सेवा में खड़े,

भैरोनाथ आरती उतारे,

गंगा मैया रही चरण पखार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥


लुटा रही माँ अटल खजाना,

भर भर झोली लुटे जमाना,

माँ ने खोल दिए रे भंडार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥


शेरावाली का लगा है दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

मेहरवाली का सजा है दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो,

जयकारा माँ का जयकारा,

शेरावाली का लगा हैं दरबार,

जयकारा माँ का बोलते रहो ॥

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मन तेरा मंदिर आँखे दिया बाती(Man Tera Mandir Ankhen Diya Bati)

मन तेरा मंदिर आँखे दिया बाती,
होंठो की हैं थालियां बोल फूल पाती,

प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिए (Prem Ho to Shri Hari Ka Prem Hona Chahiye)

प्रेम हो तो श्री हरि का प्रेम होना चाहिए
जो बने विषयों के प्रेमी उनको रोना चाहिए

30 नवंबर या 1 दिसंबर, कब है मार्गशीर्ष अमावस्या?

हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या कहते हैं। यह दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित है।

मसान होली की पौराणिक कथा

मसान होली दो दिवसीय त्योहार माना जाता है। मसान होली चिता की राख और गुलाल से खेली जाती है। काशी के मणिकर्णिका घाट पर साधु-संत इकट्ठा होकर शिव भजन गाते हैं और नाच-गाकर जीवन-मरण का जश्न मनाते हैं और साथ ही श्मशान की राख को एक-दूसरे पर मलते हैं और हवा में उड़ाते हैं। इस दौरान पूरी काशी शिवमय हो जाती है और हर तरफ हर-हर महादेव का नाद सुनाई देता है।

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