हार गया हूँ बाबा, अब तो आके थाम रे (Haar Gya Hu Baba Ab To Aake Tham Re)

हार गया हूँ बाबा,

अब तो आके थाम रे,

सुन सांवरे हारे का सहारा,

तेरा नाम रे ॥


दर्दी के तूने बाबा,

दर्द मिटाए,

दुखड़े गिनाऊँ कितने,

जाए ना गिनाएं,

मैंने सुना है दर पे,

मैंने सुना है दर पे,

बनते बिगड़े काम रे,

सुन सांवरे हारे का सहारा,

तेरा नाम रे ॥


काहे करे तू ऐसे,

आँख मिचोली,

हालत पे दुनिया वाले,

करते है ठिठोली,

ले लो शरण में अपनी,

ले लो शरण में अपनी,

आया तेरे धाम रे,

सुन सांवरे हारे का सहारा,

तेरा नाम रे ॥


रोता जो आया उसको,

पल में हंसाया,

‘हर्ष’ दीवाने को क्यों,

तूने बिसराया,

तेरी दया से होगा,

तेरी दया से होगा,

अब तो आराम रे,

सुन सांवरे हारे का सहारा,

तेरा नाम रे ॥


हार गया हूँ बाबा,

अब तो आके थाम रे,

सुन सांवरे हारे का सहारा,

तेरा नाम रे ॥

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षटतिला एकादशी पर ना करें ये काम

षटतिला एकादशी भगवान विष्णु जी को समर्पित है। हर साल माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ही षटतिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की आराधना करने से पापों से मुक्ति मिलती है।

चक्रधर भगवान की पूजा कैसे करें?

भगवान चक्रधर 12वीं शताब्दी के एक महान तत्त्वज्ञ, समाज सुधारक और महानुभाव पंथ के संस्थापक थे। महानुभाव धर्मानुयायी उन्हें ईश्वर का अवतार मानते हैं। उनका जन्म बारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में, गुजरात के भड़ोच में हुआ था। उनका जन्म नाम हरीपालदेव था।

मन बस गयो नन्द किशोर बसा लो वृन्दावन में(Man Bas Gayo Nand Kishor Basalo Vrindavan Mein)

मन बस गयो नन्द किशोर,
अब जाना नहीं कही और,

स्कन्द षष्ठी व्रत नियम

हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में षष्ठी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है, क्योंकि यह तिथि शिव-पार्वती जी के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित है।

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