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हिंदू धर्म में मंत्र जाप को आध्यात्मिक उन्नति का सशक्त माध्यम माना जाता है। मंत्र जाप से ना सिर्फ मानसिक शांति प्राप्त होती है। बल्कि, यह साधक को सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति से भी परिपूर्ण कर देता है। लेकिन, मंत्र जाप तभी प्रभावी होता है, जब इसे सही समय, विधि, और नियमों से पूर्ण किया जाए। इस लेख में हम जानेंगे कि मंत्र जाप का सही समय क्या है, इसका महत्व और मंत्र सिद्धि के लिए आवश्यक उपाय क्या हैं।
जाप करते समय संकल्प और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखें। यह साधना आपके जीवन को शांति और सकारात्मकता से भर देगी। शास्त्रों के अनुसार, प्रातः काल यानी सूर्योदय से पहले या ठीक सूर्योदय के समय मंत्र जाप करना अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। माना जाता है कि उषा काल का यह समय आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण होता है और साधक की एकाग्रता को कई गुणा तक बढ़ा सकता है।
षट्कर्म मंत्र जाप के उद्देश्य के आधार पर समय का निर्धारण इस प्रकार किया गया है।
1. वशीकरण- सुबह के पहले भाग में।
2. विद्वेषण और उच्चाटन- दिन के मध्य में।
3. शांति और पुष्टि कर्म- दिन के अंतिम भाग में।
4. मारण कर्म- संध्याकाल में।
5. काम्य जप- सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए प्रातः सूर्योदय के समय।
चूंकि, सनातन धर्म में कोई भी पूजा सूर्योदय के पूर्व या सूर्योदय से पहले करना ही शुभ माना जाता है। इसलिए, सूर्यास्त के बाद की जाने वाली पूजा-पाठ को सही नहीं माना गया है। मंत्र जाप की जगह आप अपने आराध्य देव का नाम जप कर सकते हैं। दरअसल, रात को निद्रा का समय होता है और ऐसे में जब आप मंत्र जाप करते हैं तो नींद के झोंके आ सकते हैं, जो मंत्रों की दिव्यता को नष्ट कर देते हैं। इसलिए रात में मंत्र जाप नहीं करना चाहिए।
मंत्र जाप प्रारंभ करने के लिए गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र को सर्वोत्तम माना जाता है। महीनों के अनुसार चैत्र, वैशाख, श्रावण, भाद्रपद, माघ एवं फाल्गुन मंत्र सिद्धि के लिए फलदायक माने जाते हैं।
मंत्र जाप की संख्या गिनने के लिए माला का उपयोग करना अनिवार्य है। अन्य साधन जैसे हाथ की अंगुलियां, अक्षत, पुष्प या चंदन का उपयोग मंत्र जाप के लिए कई स्थानों पर अनुचित माना गया है।
1. रत्नमाला- श्रेष्ठ फल।
2. रुद्राक्ष माला- अनंत कोटि फल।
3. तुलसी माला- पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा के लिए।
4. शंख माला- सौ गुना फल।
5. स्फटिक माला- दस हजार गुना फल।
6. कमलगट्टा माला- दस लाख गुना फल।
7. कुशा मूल माला- सौ करोड़ गुना फल।
सिद्ध गुरु से मंत्र दीक्षा लेना अनिवार्य है। यदि गुरु उपलब्ध नहीं हों, तो भगवान शिव को गुरु मानकर उनकी आज्ञा से भी मंत्र जाप का आरंभ कर सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन 108 बार इसका जाप करने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। गायत्री मंत्र और अन्य शक्तिशाली मंत्रों के लिए तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जा सकता है।
मंत्र जाप हमेशा एक ही समय, स्थान, और आसन पर करना चाहिए। पहले एक ही देवी-देवता और मंत्र को साधें। इसके लिए नियमित और निश्चित संख्या में मंत्र का जाप करें। तंत्र शास्त्र के अनुसार मंत्र जाप से अलग अलग तरह की सिद्धि प्राप्त होती है।
सबसे पहले कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का एक पल्लव रखें। कलश में सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें।
ऊँचे ऊँचे पर्वत पे,
शारदा माँ का डेरा है,
जगमग हुई अयोध्या नगरी,
रतन सिंहासन राम विराजें,
ठुमक चलत रामचंद्र,
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