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आई सिंघ पे सवार (Aayi Singh Pe Swar)

आई सिंघ पे सवार,

मईया ओढ़े चुनरी,

ओढ़े चुनरी,

मईया ओढ़े चुनरी ,

आई सिंघ पे सवार मईया ॥


आदि शक्ति है मात भवानी,

जय दुर्गे माँ काली,

बड़े बड़े राक्षस संघारे,

रण चंडी मतवाली,

करे भक्तों का,

उद्दार 'मईया ओढ़े चुनरी,

आई सिंघ पे सवार मईया ॥


महिषासुर सा महाँ बली,

देवों को ख़ूब सताया,

छीन लिया इन्द्रासन और,

देवों को मार भगाया,

करी देवों ने पुकार 'मईया ,

ओढ़े चुनरी आई,

आई सिंघ पे सवार मईया ॥


दुर्गा का अवतार लिया झट,

महिषासुर संघारी,

दूर किया देवों का संकट,

लीला तेरी न्यारी,

किया देवों पे उपकार 'मईया,

ओढ़े चुनर आई,

सिंघ पे सवार मईया ॥


जो कोई जिस मनसा से मईया,

द्वार तिहारे जाता,

हर इच्छा होती पूरी और,

मँह माँगा फल पता,

तेरा गुण गावे संसार 'मईया,

ओढ़े चुनरी,

आई सिंघ पे सवार मईया ॥

बंसी बजा के मेरी निंदिया चुराई (Bansi Bajake Meri Nindiya Churai)

बंसी बजा के मेरी निंदिया चुराई,
लाडला कन्हैया मेरा कृष्ण कन्हाई,

किया तप इस कदर हुआ शिव पे असर (Kiya Tap Is kadar Hua Shiv Pe Asar)

किया तप इस कदर हुआ शिव पे असर,
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दुर्गा कवच पाठ

माता ललिता को दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवी की आराधना करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

तू प्यार का सागर है: भजन (Tu Pyar Ka Sagar Hai)

तू प्यार का सागर है,
तेरी एक बूँद के प्यासे हम ।

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