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अंजनी के लाला पे, भरोसा जो होगा (Anjani Ke Lala Pe Bharosa Jo Hoga)

अंजनी के लाला पे,

भरोसा जो होगा,

जो कुछ भी होगा,

अच्छा ही होगा ॥


कांटे मिले तो,

शिकायत ना करना,

उसकी कृपा के,

इशारे समझना,

बिगड़ी वो तेरी,

बनाता ही होगा,

जो कुछ भी होगा,

अच्छा ही होगा ॥


ढूंढेगा जो तू,

तुझे ना दिखेगा,

आस पास है वो,

एहसास होगा,

अंधेरे में दिपक,

जलाता ही होगा,

जो कुछ भी होगा,

अच्छा ही होगा ॥


इतना समझ ले,

कदम को बड़ा ले,

तेरे साथ है वो,

मन में बिठाले,

मन में वो बैठा,

बुलाता ही होगा,

जो कुछ भी होगा,

अच्छा ही होगा ॥


विधि का विधान कोई,

बदल ना पाये,

लीलानंद है तो,

क्यों घबराये,

उजड़ा चमन फिरसे,

सजाता वो होगा ,

जो कुछ भी होगा,

अच्छा ही होगा ॥


सहारा तुझे सिर्फ,

उनसे मिलेगा,

उनके सिवा तेरी,

कोई ना सुनेगा,

सिर पे वो हाथ तेरे,

फिरता ही होगा,

जो कुछ भी होगा,

अच्छा ही होगा ॥


अंजनी के लाला पे,

भरोसा जो होगा,

जो कुछ भी होगा,

अच्छा ही होगा ॥

था बिन दीनानाथ आंगली कुण पकड़सी जी(Tha Bin Dheenanath Aangli Kun Pakadsi Ji)

था बिन दीनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी,

माँ तू ही नज़र आये(Maa Tu Hi Nazar Aaye)

मुँह फेर जिधर देखूं माँ तू ही नज़र आये,
माँ छोड़ के दर तेरा कोई और किधर जाये ॥

क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति

सनातन हिंदू धर्म में सूर्य देवता से जुड़े कई प्रमुख त्‍योहार मनाने की परंपरा है। इन्‍हीं में से एक है मकर संक्रांति। शास्‍त्रों में मकर संक्रांति पर स्‍नान-ध्‍यान और दान करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

श्री रामदेव चालीसा (Shri Ramdev Chalisa)

जय जय जय प्रभु रामदे, नमो नमो हरबार।
लाज रखो तुम नन्द की, हरो पाप का भार।

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