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बधैया बाजे आँगने में (Badhaiya Baje Angane Mein)

बधैया बाजे आँगने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥


चंद्रमुखी मृगनयनी अवध की,

तोड़त ताने रागने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥


प्रेम भरी प्रमदागन नाचे,

नूपुर बाँधे पायने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥


न्योछावर श्री राम लला जु,

नहिं कोऊ लाजत माँगने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥


सियाअली यह कौतुक देखत,

बीती रजनी जागने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥


बधैया बाजे आँगने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥

क्यों मनाते हैं माघ पूर्णिमा

सनातन हिंदू धर्म में, पूर्णिमा तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को प्रिय है। माघ पूर्णिमा के पर्व को वसंत ऋतू के आगमन के दौरान मनाया जाता है।

आनंद ही आनंद बरस रहा (aanand-hi-aanand-baras-raha)

आनंद ही आनंद बरस रहा
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।

मेरा सर ढकने की माई तेरी चूनर काफी है

धूप समय की लाख सताए मुझ में हिम्मत बाकी है।
धूप समय की लाख सताए मुझ में हिम्मत बाकी है।
मेरा सर ढकने को माई तेरी चूनर काफ़ी है।

कब सुधि लोगे मेरे राम (Kab Sudhi Loge Mere Ram)

कब सुधि लोगे मेरे राम,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,