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बालाजी तुम्हारे चरणों में, मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ (Balaji Tumhare Charno Mein Main Tumhe Rjhane Aaya Hun)

बालाजी तुम्हारे चरणों में,

मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥


प्रभु का चरणामृत लेने को,

है पास मेरे कोई पात्र नहीं,

प्रभु का चरणामृत लेने को,

है पास मेरे कोई पात्र नहीं,

आँखों के दोनों प्यालों से,

कुछ भीख मांगने आया हूँ,

बाला जी तुम्हारे चरणो में,

मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥


तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ,

बालाजी तुम्हारे चरणो में,

तुमसे लेकर क्या भेंट धरूँ,

बालाजी तुम्हारे चरणो में,

मैं सेवक हूँ तुम दाता हो,

संबंध बताने आया हूँ,

बाला जी तुम्हारे चरणो में,

मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥


सेवा की कोई वस्तु नहीं,

फिर भी मेरा साहस देखो,

सेवा की कोई वस्तु नहीं,

फिर भी मेरा साहस देखो,

रो रो कर आज आंसुओ का,

मैं हार चढाने आया हूँ,

बाला जी तुम्हारे चरणो में,

मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥


बालाजी तुम्हारे चरणों में,

मैं तुम्हे रिझाने आया हूँ ॥


था बिन दीनानाथ आंगली कुण पकड़सी जी(Tha Bin Dheenanath Aangli Kun Pakadsi Ji)

था बिन दीनानाथ,
आंगली कुण पकड़सी जी,

राम नाम ना गाया तूने, बस माया ही जोड़ी (Ram Naam Na Gaya Tune Bas Maya Hi Jodi)

राम नाम ना गाया तूने,
बस माया ही जोड़ी,

शबरी जयंती क्यों मनाई जाती है?

फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शबरी जयंती मनाई जाती है, जो भगवान राम और उनकी भक्त शबरी के बीच के पवित्र बंधन का प्रतीक है।

जय जय गौरी ललन (Jai Jai Gouri Lalan )

जय जय गौरी ललन,
जय जय हो गजवदन,

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