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भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू (Bhole Baba Ne Yuhi Bajaya Damru)

भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥


यहाँ ब्रह्मा चले वहाँ विष्णु चले,

माँ लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया,

भोले बाबा ने यु ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥


यहाँ सूरज चले वहाँ चंदा चले,

वहाँ तारो का मन भी मगन हो गया,

भोले बाबा ने यु ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥


यहाँ राम चले सीता लक्ष्मण चले,

वहाँ हनुमत का मन भी मगन हो गया,

भोले बाबा ने यु ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥


यहाँ कृष्ण चले वहाँ राधा चले,

वहाँ मीरा का मन भी मगन हो गया,

भोले बाबा ने यु ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥


भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू,

सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥

कई जन्मों से बुला रही हूँ (Kai Janmo Se Bula Rahi Hun)

कई जन्मों से बुला रही हूँ,
कोई तो रिश्ता जरूर होगा,

मोक्षदा एकादशी पर विष्णु जी का पूजन

प्रत्येक एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इसी प्रकार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली मोक्षदा एकादशी को मोक्ष प्रदान करने वाली तिथि माना जाता है।

Tune Mujhe Bulaya Sherawaliye (तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये)

साँची ज्योतो वाली माता,
तेरी जय जय कार ।

झूलेलाल जयंती 2025 कब है

चेटीचंड, सिंधी समुदाय के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जिसे सिंधी नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है।

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