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चलो दर्शन को मेहंदीपुर चलिए (Chalo Darshan Ko Mehandipur Chaliye)

चलो दर्शन को मेहंदीपुर चलिए,

जहाँ बालाजी का दरबार है,

तेरे संकट सभी कट जाएंगे,

वो ही संकट के काटन हार है,

चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए ॥


तुम यहाँ आओ अर्जी लगाओ,

ध्याम लगाओ बाबा का,

ज्योति जगाओ शीश झुकाओ,

कीर्तन गाओ बाबा का,

जिसे बाबा पे होता विश्वास है,

पूरण होती उसी की यहाँ आस है,

अंधेर नहीं कुछ देर है,

सारा झुकता यहाँ संसार है,

चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए ॥


प्रेत राज का राज यहाँ पर,

आज फसे कोई काल फसे,

भेरों का दरबार यहाँ पर,

बच ना सके कोई छुप ना सके,

भूत प्रेतों का बालाजी काल है,

ये काटे सभी के जंजाल है,

तू भी आके यहाँ सर टेक ले,

ये तो करते सभी पर उपकार है,

चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए ॥


मंगल और शनि को यहाँ पे,

लगता मेला भारी है,

दूर दूर से कष्ट मिटाने,

आते यहाँ नर नारी है,

तीनो लोको में पावन धाम है,

होती आरती सुबह और शाम है,

तू जयकारा लगाले इस नाम का,

तेरे संग में ‘धामा’ और ‘रामावतार’ है,

चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए ॥


चलो दर्शन को मेहंदीपुर चलिए,

जहाँ बालाजी का दरबार है,

तेरे संकट सभी कट जाएंगे,

वो ही संकट के काटन हार है,

चलों दर्शन को मेहंदीपुर चलिए ॥

झूलेलाल जयंती क्यों और कैसे मनाए

झूलेलाल जयंती, जिसे चेटीचंड के नाम से भी जाना जाता है, सिंधी समुदाय के लिए एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन होता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जो हिंदू नववर्ष के प्रारंभिक दिनों में आता है।

जीमो जीमो साँवरिया थे (Jeemo Jeemo Sanwariya Thye)

जीमो जीमो साँवरिया थे,
आओ भोग लगाओ जी,

जया एकादशी व्रत नियम

प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है—एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की एकादशी पूर्णिमा के बाद आती है, जबकि शुक्ल पक्ष की एकादशी अमावस्या के बाद आती है।

माघ गुप्त नवरात्रि की पूजन विधि

माघ और आषाढ़ नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। 2025 की पहली गुप्त नवरात्रि माघ महीने में 30 जनवरी से श्रवण नक्षत्र और जयद योग में प्रारंभ होगी।

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