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चरणों में रखना (Charno Mein Rakhna)

चरणों में रखना,

मैया जी मुझे चरणों में रखना,

चरणो में रखना,

मैया जी मुझे चरणों में रखना,

अब तो सहारा बस तुम्हारा है माँ,

अब तो सहारा बस तुम्हारा है माँ,

इक तुझे ही हर घडी ही पुकारा है माँ,

इक तुझे ही हर घडी ही पुकारा है माँ,

चरणो में रखना,

मैय्या जी मुझे चरणों में रखना ॥


गहरी नदियाँ नाँव पुरानी,

हाथो से पतवार छुट गयी,

संगी साथी मोड़ गए मुंह,

माथे लिखी लकीर रूठ गयी,

तु ही खिवैया,

तू ही किनारा है माँ,

एक तुझे हर घडी ही पुकारा है माँ

चरणो में रखना,

मैय्या जी मुझे चरणों में रखना ॥


बन के सवाली ये जग सारा,

पाता है तुझसे नजराने,

मै क्या बोलू मुझ से ज्यादा,

मेरे मन की माँ तू जाने,

भूल क्या हुई जो यूँ बिसारा है माँ

एक तुझे हर घडी ही पुकारा है माँ

चरणो में रखना,

मैय्या जी मुझे चरणों में रखना ॥


भरे हुए भंडार माँ तेरे,

मेरी खाली झोली तरसे,

ताने देगी दुनिया सारी,

‘लख्खा’ लौट गया जो दर से,

कवला सरल इतना हारा है माँ,

एक तुझे हर घडी ही पुकारा है माँ

चरणो में रखना,

मैय्या जी मुझे चरणों में रखना ॥


चरणों में रखना,

मैया जी मुझे चरणों में रखना,

चरणो में रखना,

मैया जी मुझे चरणों में रखना,

अब तो सहारा बस तुम्हारा है माँ,

अब तो सहारा बस तुम्हारा है माँ,

इक तुझे ही हर घडी ही पुकारा है माँ,

इक तुझे ही हर घडी ही पुकारा है माँ,

चरणों मे रखना,

मैय्या जी मुझे चरणों में रखना ॥

झूम उठा दिल देख नजारा, उस सालासर धाम का(Jhoom Utha Dil Dekho Nazara Us Salasar Dham Ka)

झूम उठा दिल देख नजारा,
उस सालासर धाम का,

जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों मानते हैं

सनातन धर्म में हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा को रथ महोत्सव और गुंडिचा यात्रा के नाम से भी जाना जाता है।

बनवारी रे! जीने का सहारा तेरा नाम रे (Banwari Re Jeene Ka Sahara Tera Naam Re)

बनवारी रे,
जीने का सहारा तेरा नाम रे,

दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी(De Do Anguthi Mere Prano Se Pyari)

दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी
इसे लाया है कौन, इसे लाया है कौन