नवीनतम लेख

डमक डम डमरू रे बाजे (Damak Dam Damroo Re Baje)

डमक डम डमरू रे बाजे,

चन्द्रमा मस्तक पर साजे,

नाचे भोला हर हर हर हर बम,

नाचे भोला हर हर हर हर बम,

गले में पड़ी सर्प की माला,

हाथ त्रिशूल कान में बाला,

नाचे भोला हर हर हर हर बम,

नाचे भोला हर हर हर हर बम ॥


बनकर के नटराज सदाशिव,

अद्भुत कला दिखाए,

डम डम डमरू बजे हाथ में,

ताल से ताल मिलाए,

छान के भांग का गोला,

जटा बिखरा के भोला,

नाचे भोला हर हर हर हर बम,

नाचे भोला हर हर हर हर बम ॥


देख के रूप अनोखा शिव का,

गौरा मन हर्षाए,

नभ मंडल से देवी देवता,

शिव पे फूल बरसाए,

है कैलाश पे अजब नज़ारे,

बाजे ढोलक झांझ नगाड़े,

नाचे भोला हर हर हर हर बम,

नाचे भोला हर हर हर हर बम ॥


जैसे जैसे चरण थिरकते,

मन होता मतवाला,

नित गाता है महिमा ‘लख्खा’,

भोले देव निराला,

मगन मन भक्तो का टोला,

झूम के ‘गिरी’ है ये बोला,

नाचे भोला हर हर हर हर बम,

नाचे भोला हर हर हर हर बम ॥


डमक डम डमरू रे बाजे,

चन्द्रमा मस्तक पर साजे,

नाचे भोला हर हर हर हर बम,

नाचे भोला हर हर हर हर बम,

गले में पड़ी सर्प की माला,

हाथ त्रिशूल कान में बाला,

नाचे भोला हर हर हर हर बम,

नाचे भोला हर हर हर हर बम ॥

चंद्रदेव को प्रसन्न करने के उपाय

हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। ख़ासकर, पौष मास की अमावस्या को पितरों को प्रसन्न करने और चंद्रदेव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर माना गया है। इस दिन भगवान सूर्य, चंद्रदेव और श्रीहरि की विधिवत पूजा के साथ पिंडदान और तर्पण का विधान है।

हे मुरलीधर छलिया मोहन (Hey Muralidhar Chhaliya Mohan)

हे मुरलीधर छलिया मोहन,
हम भी तुमको दिल दे बैठे,

आमलकी एकादशी पर आंवल के उपाय

हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी मनाई जाती है। आमलकी एकादशी का व्रत स्त्री और पुरुष दोनों रखते हैं। इस शुभ अवसर पर साधक व्रत रख भगवान विष्णु की भक्ति भाव से पूजा करते हैं।

हर कदम पे तुम्हे होगा आभास सांवरे का (Har Kadam Pe Tumhe Hoga Aabhash Saware Ka)

हर कदम पे तुम्हे होगा,
आभास सांवरे का,

यह भी जाने