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घर घर बधाई बाजे रे देखो (Ghar Ghar Badhai Baje Re Dekho)

घर घर बधाई बाजे रे देखो,

घर घर बधाई बाजे रे,

ढोलक नगाड़ा वाजे रे देखो,

ढोलक नगाड़ा वाजे रे

जन में अयोध्या में राम लला की,

माता कौशल्या खिलाये रे,

॥ घर घर बधाई बाजे रे देखो..॥

॥ जय श्री राम, जय श्री राम॥


सोने के पलना में झूले ललनवा,

चांदी की पहने पैजनियाँ,

झुन झुन बाजे पाओ में गुंगरु,

खुश है बड़ी सारी सखियाँ,

पीला पीताम्बर शोभा बडाये,

पहने कमर में कंधनियाँ,

॥ घर घर बधाई बाजे रे देखो..॥

॥ जय श्री राम, जय श्री राम॥


दसरथ के अंगना में ढोलक प्रभु जी,

भरत शत्रु लक्ष्मण जी,

माता सुमित्रा केकई कौशल्या,

गोदी खिलाये कभी चूमे जी,

संतो में महंतो को भोजन करवाए,

भर भर के दान लुटाये रे,

॥ घर घर बधाई बाजे रे देखो..॥

॥ जय श्री राम, जय श्री राम॥


विष्णु अवतारी राम जी हमार,

सबकी ही नैया तारे गे,

अब तो बचे ना पापी अधर्मी,

रावन को राम जी संहारे गये,

राम राम जो भोले की रीतू,

भव से ये पार उतारे गये,


घर घर बधाई बाजे रे देखो,

घर घर बधाई बाजे रे,

ढोलक नगाड़ा वाजे रे देखो,

ढोलक नगाड़ा वाजे रे


घर घर बधाई बाजे रे देखो,

घर घर बधाई बाजे रे,

ढोलक नगाड़ा वाजे रे देखो,

ढोलक नगाड़ा वाजे रे

भीष्म पितामह का अंतिम संस्कार

माघ मास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी कहते हैं। इसे तिल द्वादशी भी कहते हैं। भीष्म द्वादशी को माघ शुक्ल द्वादशी नाम से भी जाना जाता है।

चाहे सुख हो दुःख हो, एक ही नाम बोलो जी (Chahe Sukh Ho Dukh Ho Ek Hi Naam Bolo Ji)

चाहे सुख हो दुःख हो,
एक ही नाम बोलो जी,

माघ पूर्णिमा पूजा विधि

हिंदू धर्म में, पूर्णिमा तिथि को विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन जल और प्रकृति में एक अद्भुत ऊर्जा प्रवाहित होती है, जो मानव जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। इस वर्ष माघ पूर्णिमा 2025 और भी विशेष बन गई है।

मेरे नैनों की प्यास बुझा दे

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