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हमने आँगन नहीं बुहारा (Hamne Aangan Nahi Buhara, Kaise Ayenge Bhagwan)

हमने आँगन नहीं बुहारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ।

मन का मैल नहीं धोया तो,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥


हर कोने कल्मष-कषाय की,

लगी हुई है ढेरी ।

नहीं ज्ञान की किरण कहीं है,

हर कोठरी अँधेरी ।

आँगन चौबारा अँधियारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥


हृदय हमारा पिघल न पाया,

जब देखा दुखियारा ।

किसी पन्थ भूले ने हमसे,

पाया नहीं सहारा ।

सूखी है करुणा की धारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥


अन्तर के पट खोल देख लो,

ईश्वर पास मिलेगा ।

हर प्राणी में ही परमेश्वर,

का आभास मिलेगा ।

सच्चे मन से नहीं पुकारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥


निर्मल मन हो तो रघुनायक,

शबरी के घर जाते ।

श्याम सूर की बाँह पकड़ते,

शाग विदुर घर खाते ।

इस पर हमने नहीं विचारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥


हमने आँगन नहीं बुहारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ।

मन का मैल नहीं धोया तो,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥

ये सारे खेल तुम्हारे है जग कहता खेल नसीबों का: भजन (Ye Sare Khel Tumhare Hain Jag Kahta Khel Naseebo Ka)

ये सारे खेल तुम्हारे है,
जग कहता खेल नसीबों का,

तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार(Tera Ramji Karenge Bera Paar)

राम नाम सोहि जानिये,
जो रमता सकल जहान

मासिक शिवरात्रि पर शिव चालीसा पाठ

हिंदू पंचाग में प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी 14वें दिन मासिक शिवरात्रि के मनाई जाती है। इस विशेष दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है।

बंसी वाले तेरी बांसुरी कमाल कर गयी (Banshi Wale Teri Bansuri Kamal Kar Gayi)

बंसी वाले तेरी बांसुरी कमाल कर गयी,
कमाल कर गई जी कमाल कर गई,

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