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हमने आँगन नहीं बुहारा (Hamne Aangan Nahi Buhara, Kaise Ayenge Bhagwan)

हमने आँगन नहीं बुहारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ।

मन का मैल नहीं धोया तो,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥


हर कोने कल्मष-कषाय की,

लगी हुई है ढेरी ।

नहीं ज्ञान की किरण कहीं है,

हर कोठरी अँधेरी ।

आँगन चौबारा अँधियारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥


हृदय हमारा पिघल न पाया,

जब देखा दुखियारा ।

किसी पन्थ भूले ने हमसे,

पाया नहीं सहारा ।

सूखी है करुणा की धारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥


अन्तर के पट खोल देख लो,

ईश्वर पास मिलेगा ।

हर प्राणी में ही परमेश्वर,

का आभास मिलेगा ।

सच्चे मन से नहीं पुकारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥


निर्मल मन हो तो रघुनायक,

शबरी के घर जाते ।

श्याम सूर की बाँह पकड़ते,

शाग विदुर घर खाते ।

इस पर हमने नहीं विचारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥


हमने आँगन नहीं बुहारा,

कैसे आयेंगे भगवान् ।

मन का मैल नहीं धोया तो,

कैसे आयेंगे भगवान् ॥

कर दो दूर प्रभु, मेरे मन में अँधेरा है (Kardo Dur Prabhu Mere Mann Me Andhera Hai)

कर दो दूर प्रभु,
मेरे मन में अँधेरा है,

गौरी के लाल सुनो (Gauri Ke Lal Suno)

गौरी के लाल सुनो,

जबलपुर में काली विराजी है(Jabalpur Mein Kali Viraji Hai)

जबलपुर में काली विराजी है,
तरसे मोरी अंखियां,

बसंत पंचमी पर महाकुंभ का स्नान क्यों है खास?

महाकुंभ जो कि दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है इस बार बसंत पंचमी पर विशेष रूप से खास होने वाला है। इस दिन महाकुंभ में तीसरा अमृत स्नान होना तय हुआ है जो कि त्रिवेणी संगम में होगा।

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