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जगत में कोई ना परमानेंट(Jagat Me Koi Na Permanent)

जगत में कोई ना परमानेंट,

जगत में कोई ना परमानेंट,

तेल चमेली चन्दन साबुन,

तेल चमेली चन्दन साबुन,

चाहे लगालो सेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट ॥


आवागमन लगा दुनिया में,

जगत है रेस्टोरेंट,

रे प्यारे जगत है रेस्टोरेंट,

अंत समय में उड़ जाएंगे,

अंत समय में उड़ जाएंगे,

तेरे तम्बू टेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट ॥


राष्ट्रपति हो कर्नल जनरल,

या हो लेफ्टिनेंट,

रे प्यारे या हो लेफ्टिनेंट,

काल सभी को खा जाएगा,

काल सभी को खा जाएगा,

लेडीज हो या जेंट्स,

जगत में कोईं ना परमानेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट ॥


हरिद्वार चाहे, काशी मथुरा*,

घूमो दिल्ली केंट,

रे प्यारे घूमो दिल्ली केंट,

मन में नाम प्रभु का राखो,

मन में नाम प्रभु का राखो,

धोती पहनो या पेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट ॥


साधू संत की संगत करलो ,

ये सच्ची गोरमेंट,

रे प्यारे ये सच्ची गोरमेंट,

लाल सिंह कहे इस दफ्तर से,

'लाल सिंह' कहे इस दफ्तर से’,

मत होना एब्सेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट ॥


जगत में कोई ना परमानेंट,

जगत में कोई ना परमानेंट,

तेल चमेली चन्दन साबुन,

तेल चमेली चन्दन साबुन,

चाहे लगालो सेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट,

जगत में कोईं ना परमानेंट ॥

शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम् (Shiv Panchakshar Stotram)

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै न काराय नमः शिवाय॥1॥

2025 की पहली बैकुंठ एकादशी कब है

सनातन धर्म में बैकुंठ एकादशी का विषेश महत्व है। इस पवित्र दिन पर भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु उपरांत बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।

मंत्र के प्रकार

मंत्रों के कई प्रकार होते हैं, जरूरत के हिसाब से इन मंत्रों का उपयोग किया जाता है। मंत्रों के प्रकार और उनके उपयोग से होने लाभों पर नज़र डालें तो आप पाएंगे ये विभिन्न रूपों में हैं।

अथ तन्त्रोक्तं रात्रिसूक्तम् (Ath Tantroktam Ratri Suktam)

तन्त्रोक्तम् रात्रि सूक्तम् यानी तंत्र से युक्त रात्रि सूक्त का पाठ कवच, अर्गला, कीलक और वेदोक्त रात्रि सूक्त के बाद किया जाता है।

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