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जगदम्बे भवानी माँ, तुम कुलदेवी मेरी(Jagdambe Bhawani Maa Tum Kuldevi Meri)

जगदम्बे भवानी माँ,

तुम कुलदेवी मेरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥


जन्मों जन्मों से मां,

तेरा मेरा बन्धन,

जो कुछ भी पास मेरे,

करूं तुम को मैं अर्पन,

कर जोड़ करूं विनति,

मैंने सदा तू ही टेरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥


अंनजान जमाने में,

तुझ बिन है कोन मेरा,

कर दया की दृष्टि मां,

मैं चाहूं प्यार तेरा,

करूणा मय कल्याणी,

ना करना अब देरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥


मेरी चाहत छोटी सी,

तेरा दर्शन मैं पाऊं,

एक नज़र महर की हो,

ना ज्यादा कुछ चाहूं,

तुम हाथ रखो सर पे,

रहे दुर सदा बेरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥


मेरे इस जीवन की,

डोरी तेरे हाथों में,

सुरेन्द्र सिंह के मां तुम,

आती रहो ख्वाबों में,

तुम सदा बसों मन में,

रहो रसना पे ठहरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥


जगदम्बे भवानी माँ,

तुम कुलदेवी मेरी,

मैं तुम्हें मनाऊं माँ,

करो भूल माफ़ मेरी ॥

कब है सकट चौथ

हिन्दू धर्म में सकट चौथ का एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना गया है। यह मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए करती हैं। इस दिन भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा की होती है।

आल्हा की ध्वजा नहीं आई हो मां (Aalha Ki Dhwaja Nahin Aayi Ho Maa)

तीन ध्वजा तीनों लोक से आईं
आल्हा की ध्वजा नहीं आई हो मां

अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे: भजन (Ambe Ambe Bhavani Maa Jagdambe)

अम्बे अम्बे माँ अम्बे अम्बे,
अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे ॥

अन्वधान और इष्टी क्या है

भारत के त्योहार और अनुष्ठान वैदिक परंपराओं में गहराई से निहित हैं। इसमें से अन्वधान और इष्टि का विशेष महत्व है। ये अनुष्ठान कृषि चक्रों और आध्यात्मिक कायाकल्प के साथ जुड़े होते हैं।