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जिसने दी है मुझे पहचान, वो अंजनी का लाला है (Jisne Di Hai Mujhe Pahchan Vo Anjani Ka Lala Hai)

जिसने दी है मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है,

जिससे परिवार मेरा खुशहाल,

वो अंजनी का लाला है,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥


सालासर दरबार निराला,

यहाँ कटता है संकट सारा,

जो सुने भक्तो की फरियाद,

वो अंजनी का लाला है,

वो अंजनी का लाला है,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥


कोई भक्त नहीं है ऐसा,

मेरे बालाजी के जैसा,

जिनके ह्रदय में है श्री राम,

वो राम जी का प्यारा है,

वो अंजनी का लाला है,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥


ये दुनिया मतलब की साथी,

बालाजी बस साथ निभासी,

जिनके चरणों में जाऊं बलिहार,

वो बजरंग बाला है,

वो अंजनी का लाला है,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥


मुश्किल घड़ियों में साथ निभाता,

जो बाबा को अरदास लगाता,

ऐसे महावीर से प्रीति लगा,

की होगा तेरा बेडा पार,

बालाजी करेंगे उद्धार,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥


जिसने दी है मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है,

जिससे परिवार मेरा खुशहाल,

वो अंजनी का लाला है,

जिसने दी हैं मुझे पहचान,

वो अंजनी का लाला है ॥

फरवरी 2025 में इष्टि कब है

इष्टि यज्ञ वैदिक काल के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है। संस्कृत में ‘इष्टि’ का अर्थ ‘प्राप्ति’ या ‘कामना’ होता है। यह यज्ञ विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति और जीवन में समृद्धि लाने के उद्देश्य से किया जाता है।

भभूती रमाये बाबा भोले नाथ आए(Bhabhuti Ramaye Baba Bholenath Aaye)

भभूती रमाये बाबा भोले नाथ आए,
भोले नाथ आए बाबा डमरू बजाए,

हरियाली तीज (Hariyali Teej)

हरियाली तीज, जिसे श्रावण तीज के नाम से भी जाना जाता है, एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत और नेपाल में मनाया जाता है। हरियाली तीज का अर्थ है "हरियाली की तीज" या "हरित तीज"। यह नाम इसलिए पड़ा है क्योंकि यह त्योहार मानसून के मौसम में मनाया जाता है, जब प्रकृति में हरियाली का प्रवेश होता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का विधान है।