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कर दो दूर प्रभु, मेरे मन में अँधेरा है (Kardo Dur Prabhu Mere Mann Me Andhera Hai)

कर दो दूर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है,

जब से तेरी लगन लगी,

हुआ मन में सवेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


हरी तुमसे बिछड़े हुए,

कई युग बीत गए,

अब आन मिलो प्रियतम,

मेरे मन में प्यार तेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


इतना तो बता दो मुझे,

मेरी मंज़िल है कहाँ,

अब ले चलो मुझको,

जहाँ संतो का डेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


दर्शन पाये बिना,

दर से हटेंगे नहीं,

अब हमने डाल लिया,

तेरे दर पे डेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


जब से तेरी लगन लगी,

मेरे मन की कलियाँ खिलीं,

अब जाग उठी किस्मत,

हुआ दर्शन तेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥


कर दो दूर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है,

जब से तेरी लगन लगी,

हुआ मन में सवेरा है,

कर दों दुर प्रभु,

मेरे मन में अँधेरा है ॥

गणपति गजवदन वीनायक (Ganpati Gajvadan Vinayak)

गणपति गजवदन विनायक,
थाने प्रथम मनावा जी,

मैं सहारे तेरे, श्याम प्यारे मेरे (Main Sahare Tere, Shyam Pyare Mere)

मैं सहारे तेरे,
श्याम प्यारे मेरे,

गजानंद मैहर करो(Gajanand Mehar Karo)

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ओ गणनायक महाराज,

माँ सरस्वती! मुझको नवल उत्थान दो (Mujhko Naval Utthan Do, Maa Saraswati Vardan Do)

मुझको नवल उत्थान दो ।
माँ सरस्वती! वरदान दो ॥

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