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करनल करुणा-सिंधु कहावै (Karnal Karuna Sindhu Kahavai)

देवी मढ़ देसाण री,

मेह दुलारी माय ।

गरज सकव गजराज री,

सारै नित सुरराय ॥


करनल करुणा-सिंधु कहावै

म्हां पर नित किरपा बरसावै

करनल करुणा-सिंधु कहावै


सुमिरंतां सुरराय सहायक,

मन सांसो मिटवावै ।

दरस कियां दुख दाळद मेटै,

पद परस्यां दुलरावै ॥

मैया चरण सरण बगसावै

करनल करुणा-सिंधु कहावै


अंतस पीड़ पिछाणै अंबा,

बिन सिमर्यां बतळावै ।

दूजो देव और कुण धरणी,

करणी जोड़ै आवै ।

अंबे भव दुख दूर भगावै

करनल करुणा-सिंधु कहावै


परचा है अणमाप प्रथी पर,

सबदां जो न समावै ।

घर घर जोत दीपै जगदंबा,

सेवक छंद सुणावै ।

सुण कर अंबा दौड़ी आवै

करनल करुणा-सिंधु कहावै


माथै हाथ ऱखावै मायड़,

सत री राह चलावै ।

कवि 'गजराज' बखाणै कीरत,

गायक रुच रुच गावै ।

करणी सुख संपत बगसावै

करनल करुणा-सिंधु कहावै

मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया (Mere O Sanware Tune Kya Kya Nahi Kiya)

मेरे ओ सांवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया,

कांच ही बांस के बहंगिया (Kaanch Hi Baans Ke Bahangiya)

कांच ही बांस के बहंगिया,
बहंगी लचकति जाए।

रविवार की पूजा विधि

हिंदू धर्म में रविवार का दिन विशेष रूप से भगवान सूर्यदेव से जुड़ा हुआ है। इसे "रविवार व्रत" या "सूर्य व्रत" के रूप में मनाया जाता है। रविवार को सूर्य देव की पूजा करने से जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि, सम्मान और शक्ति की प्राप्ति होती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर कैसे करें तर्पण

मार्गशीर्ष माह भगवान कृष्ण, जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। ऐसे में इस माह में जो पूर्णिमा तिथि आती है।

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