नवीनतम लेख

कृपा की न होती जो, आदत तुम्हारी(Kirpa Ki Na Hoti Jo Addat Tumhari)

मैं रूप तेरे पर, आशिक हूँ,

यह दिल तो तेरा, हुआ दीवाना

ठोकर खाई, दुनियाँ में बहुत,

मुझे द्वार से, अब न ठुकराना

हर तरह से तुम्हारा, हुआ मैं तो,

फिर क्यों तुमको, मैं बेगाना

मुझे दरस दिखा दो, नंद लाला,

नहीं तो दर तेरे पर, मर जाना

कृपा की न होती जो, आदत तुम्हारी

तो सूनी ही रहती, अदालत तुम्हारी


गोपाल सहारा तेरा है ,

हे नंद लाल सहारा तेरा है ,

मेरा और सहारा कोई नहीं

गोपाल सहारा तेरा है ,

हे नंद लाल सहारा तेरा है ,,,,,,,,,


ओ दीनो के दिल में, जगह तुम न पाते

तो किस दिल में होती, हिफाजत तुम्हारी

कृपा की न होती जो,,,


ग़रीबों की दुनियाँ है, आबाद तुमसे ,

ग़रीबों से है, बादशाहत तुम्हारी ,

कृपा की न होती जो,,,,,,


न मुल्जिम ही होते, न तुम होते हाकिम,

न घर-घर में होती, इबादत तुम्हारी ,

कृपा की न होती जो,,,


तुम्हारी ही उल्फ़त के, द्रिग ‘बिन्दु’ हैं यह ,

तुम्हें सौंपते है, अमानत तुम्हारी ,

कृपा की न होती जो,,,,,,,,,

अगर श्याम सुन्दर का सहारा ना होता (Agar Shyam Sundar Ka Sahara Na Hota)

अगर श्याम सुन्दर का सहारा ना होता,
तो दुनियाँ में कोई हमारा ना होता ।

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ - शब्द कीर्तन (Mehra Waliya Rakhi Charna De Kol)

मेहराँ वालिया साइयाँ रखी चरना दे कोळ,
रखी चरना दे कोल रखी चरना दे कोल,

ऋषि पंचमी पर जानें क्या है पुजा का शुभ मुहुर्त और इस दिन का महत्व

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला ऋषि पंचमी पर्व हमारे जीवन में पवित्रता और ज्ञान का संगम है।

चाहे राम भजो चाहे श्याम (Chahe Ram Bhajo Chahe Shyam)

चाहे राम भजो चाहे श्याम,
नाम दोनों हितकारी है,

यह भी जाने