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कृपा करे रघुनाथ जी, म्हने सत देवे सीता माता (Kripa Kare Raghunath Ji Mhane Sat Deve Sita Mata)

कृपा करे रघुनाथ जी,

म्हने सत देवे सीता माता,

श्री बालाजी महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥


जगत पति रघुनाथ जी,

जग जननी सीता माता,

श्री सालासर महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता,

कृपा करें रघुनाथ जी,

म्हने सत देवे सीता माता,

श्री बालाजी महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥


अन्न दाता रघुनाथ जी,

अन्न पूरण सीता माता,

श्री मेहंदीपुर महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता,

कृपा करें रघुनाथ जी,

म्हने सत देवे सीता माता,

श्री बालाजी महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥


कृपा करे रघुनाथ जी,

म्हने सत देवे सीता माता,

श्री बालाजी महाराज,

म्हारे बल बुद्धि रा दाता ॥

हे माँ मुझको ऐसा घर दे(He Maa Mujhko Aisa Ghar De)

हे माँ मुझको ऐसा घर दे, जिसमे तुम्हारा मंदिर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी, तुम मंदिर के अन्दर हो।

इष्टि पौराणिक कथा और महत्व

इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।

जिनके हृदय हरि नाम बसे (Jinke Hriday Hari Naam Base)

जिनके हृदय हरि नाम बसे,
तिन और का नाम लिया ना लिया ।

अथ चौरासी सिद्ध चालीसा - गोरखनाथ मठ (Ath Chaurasi Siddha Chalisa - Gorakhnath Math)

श्री गुरु गणनायक सिमर, शारदा का आधार।
कहूँ सुयश श्रीनाथ का, निज मति के अनुसार।