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लहर लहर लहरा गई रे, मेरी माँ की चुनरियाँ, माँ की चुनरियाँ(Lehar Lehar Lehra Gayi Re Meri Maa Ki Chunariya)

लहर लहर लहरा गई रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ,

माँ की चुनरियाँ,

मेरी माँ की चुनरियाँ,

लहर लहर लहरा गयी रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ ॥


उड़के चुनरिया बरसाने को पहुंची,

उड़के चुनरिया बरसाने में पहुंची,

राधा जी के मन को भा गई रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ,

लहर लहर लहरा गयी रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ ॥


उड़के चुनरिया अयोध्या को पहुंची,

उड़के चुनरिया अयोध्या में पहुंची,

सिता जी के मन को भा गई रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ,

लहर लहर लहरा गयी रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ ॥


उड़के चुनरिया हरिधाम को पहुंची,

उड़के चुनरिया हरिधाम में पहुंची,

लक्ष्मी जी के मन को भा गई रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ,

लहर लहर लहरा गयी रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ ॥


उड़के चुनरिया कैलाश को पहुंची,

उड़के चुनरिया कैलाश में पहुंची,

गौरा जी के मन को भा गई रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ,

लहर लहर लहरा गयी रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ ॥


उड़के चुनरिया मेवाड़ को पहुंची,

उड़के चुनरिया मेवाड़ में पहुंची,

मीरा जी के मन को भा गई रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ,

लहर लहर लहरा गयी रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ ॥


उड़के चुनरिया कीर्तन में पहुंची,

उड़के चुनरिया कीर्तन में पहुंची,

भक्तों के मन को भा गई रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ,

लहर लहर लहरा गयी रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ ॥


लहर लहर लहरा गई रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ,

माँ की चुनरियाँ,

मेरी माँ की चुनरियाँ,

लहर लहर लहरा गयी रे,

मेरी माँ की चुनरियाँ ॥

गणपति मेरे अँगना पधारो (Ganpati Mere Angana Padharo)

गणपति मेरे अंगना पधारो,
आस तुमसे लगाए हुए है,

जैसे होली में रंग, रंगो में होली (Jaise Holi Mein Rang Rango Mein Holi)

जैसे होली में रंग,
रंगो में होली

दिसंबर में कब है दुर्गा अष्टमी?

शुक्ल पक्ष की अष्टमी का दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस दिन विधिवत मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी मां दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित होती है। इस विधि-विधान से व्रत और पूजा करके मां दुर्गा की स्तुति की जाती है।

गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय(Govind Jai Jai, Gopal Jai Jai)

गोविन्द जय-जय, गोपाल जय-जय
राधा-रमण हरि, गोविन्द जय-जय ॥ १ ॥

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