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माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो(Maa Ho To Aisi Ho Aisi Ho)

हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

अरे ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

अद्भुत हैं रूप तेरा शक्ति अपार

परिहार भ्र्म भी पाए न पार

सुनले पुकार मेरी नैय्यान मजधार

कर बेडा पार तेरा बड़ा उपकार


हाँ अद्भुत हैं रूप तेरा शक्ति अपार

परिहार भ्र्म भी पाए न पार

सुनले पुकार मेरी नैय्यान मजधार

कर बेडा पार तेरा बड़ा उपकार

सूरत हैं न्यारी सबसे तू प्यारी

जाए हम वारि तेरी बलिहारी

रक्त बालहरिणी रक्त पुश धारिणी

कष्ठ-निवारिणी मंगल कारिणी


माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो


चरणों में तेरे माँ दे दे शरण

दर्शन के प्यासे हैं ये दो नयन

गाये भजन करे तेरा सुमिरन

करे दिन रात माइयाँ तेरा किर्तन


हाँ चरणों में तेरे माँ दे दे शरण

दर्शन के प्यासे हैं ये दो नयन

गाये भजन करे तेरा सुमिरन

करे दिन रात माइयाँ तेरा किर्तन

मन्नत सभी की पूरी तू करती

आये तेरे द्वार जो भी नर नारी

माइयाँ तू दयालु है माइयाँ तू कृपाली है

तू हैं दुःख हरनी तू सुख करनी


माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

अरे ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

हाँ माँ हो तो ऐसी हो ऐसी हो

ऐसी हो काली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

महाकाली मैय्यां तेरे जैसी हो

विद्यारंभ संस्कार पूजा विधि

हिंदू संस्कृति में मनुष्य के जीवन के अलग अलग पड़ावों को संस्कारों के साथ पवित्र बनाया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार । यह संस्कार बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है।

कब है मकर संक्रांति

मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व होता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। तब ये पर्व मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा।

रवि प्रदोष व्रत के उपाय

हिंदू धर्म में, प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार, फरवरी माह का पहला प्रदोष व्रत 9 फरवरी को मनाया जाएगा। सप्ताह के सातों दिनों में से जिस दिन प्रदोष व्रत पड़ता है उसी के नाम पर उस प्रदोष का नाम रखा जाता है।

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