नवीनतम लेख

माँ का नाम जपे जा हर पल(Maa Ka Naam Jape Ja Har Pal)

माँ का नाम जपे जा हर पल,

लागे ना कोई मोल रे,

जय माता दी बोल रे तू,

जय माता दी बोल रे ॥


माता रानी की मन्त्र जो जपते,

माँ को लगते प्यारे,

महारानी माँ वैष्णो का तू,

निशदिन ध्यान लगा ले,

मन की अंगूठी में तू जड़ ले,

ये हीरा अनमोल रे,

जय माता दी बोल रे तू,

जय माता दी बोल रे ॥


जिसने जो माँगा दे डाली,

ऐसी है माँ दानी,

इनसे ना कोई भेद छुपा है,

सबके मन की जानी,

सबकी नेकी बदिया रही माँ,

सच की तराजू तोल रे,

जय माता दी बोल रे तू,

जय माता दी बोल रे ॥


लाल चुनरिया ओढ़ के बैठी,

गुफा में पिंडी रानी है,

माँ की महिमा कैसे जाने,

हम मूरख अज्ञानी है,

यहाँ वहां मत ढूढ़ सरल तू,

भीतर अपने टटोल रे,

जय माता दी बोल रे तू,

जय माता दी बोल रे ॥


माँ का नाम जपे जा हर पल,

लागे ना कोई मोल रे,

जय माता दी बोल रे तू,

जय माता दी बोल रे ॥

क्यों मनाते हैं कजलियां पर्व (Kyon Manaate Hain Kajaliyaan Parv)

रक्षाबंधन के एक दिन बाद क्यों मनाते हैं कजलियां पर्व, जानिए क्या है इनका इतिहास

देव गुरु बृहस्पति की पूजा विधि?

हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है। उसी प्रकार, गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति देव का दिन होता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से बृहस्पति की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे (shri ram janki bethe hai mere seene me)

श्री राम जानकी बैठे हैं मेरे सीने मे,
देख लो मेरे दिल के नगीने में II

आमलकी एकादशी पौराणिक कथा

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी के अलावा आंवला एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन आंवले पेड़ की उत्तपति हुई थी।

यह भी जाने