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मगन हो करके शिव शंकर, मधुर डमरू बजाते है - भजन (Magan Hokar Ke Shiv Shankar Madhur Damru Bajate Hai)

मगन हो करके शिव शंकर,

मधुर डमरू बजाते है,

ये जब मस्ती में आते है,

तभी डमरू बजाते है,

ये जब डमरू बजाते है,

सकल श्रष्टि नचाते है,

कभी नटराज बनकर के,

भोले डमरू बजाते है,

मगन हों करके शिव शंकर,

मधुर डमरू बजाते है ॥


सती ने प्राण जब त्यागे,

दक्ष के यज्ञ में जाकर,

वियोगी हो गए भोले,

सती की ये ख़बर पाकर,

रौद्र डमरू बजाकर शिव,

महा तांडव मचाते है,

मगन हों करके शिव शंकर,

मधुर डमरू बजाते है ॥


बजाया एक दिन डमरू,

हिमाचल राजा के दर पर,

मेरे भोले बने दूल्हा,

चले नंदी पे जब चढ़कर,

वहां डमरू की तानो पर,

ये भूतो को नचाते है,

मगन हों करके शिव शंकर,

मधुर डमरू बजाते है ॥


बजाया एक दिन डमरू,

श्री दशरथ जी के द्वारे पर,

राम के दरश की इच्छा,

लिए पहुंचे वहां शंकर,

वहां डमरू बजाकर शिव,

ये हनुमत को नचाते है,

मगन हों करके शिव शंकर,

मधुर डमरू बजाते है ॥


धरे शिव रूप जोगी का,

नन्द द्वारे पर जब आए,

यशोदा माँ ने कान्हा के,

नहीं जब दर्श करवाए,

बजाकर शिव वहां डमरू,

कन्हैया को रिझाते है,

मगन हों करके शिव शंकर,

मधुर डमरू बजाते है ॥


मगन हो करके शिव शंकर,

मधुर डमरू बजाते है,

ये जब मस्ती में आते है,

तभी डमरू बजाते है,

ये जब डमरू बजाते है,

सकल श्रष्टि नचाते है,

कभी नटराज बनकर के,

भोले डमरू बजाते है,

मगन हों करके शिव शंकर,

मधुर डमरू बजाते है ॥

मासिक शिवरात्रि व्रत कथा

हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र पर्व है। इस दिन भक्तगण शिवलिंग की पूजा और व्रत करते हैं।

चैत्र माह की पौराणिक कथा

नवरात्रि का अर्थ नौ रातें होता है, जो हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान मां दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है। उनके नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्र का खास महत्व है।

मां सरस्वती पूजा विधि

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