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मेरा छोड़ दे दुपट्टा नन्दलाल - भजन (Mera Chhod De Dupatta Nandlal)

मेरा छोड़ दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी,

सवेरे दही लेके आउंगी,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


ना माने तो मेरी चुनर रखले,

ना माने तो मेरी चुनर रखले,

या में सितारे जड़े है हज़ार,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


ना माने तो मेरा हरवा रखले,

ना माने तो मेरा हरवा रखले,

या में हीरे जड़े है हज़ार,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


ना माने तो मेरे कंगन रखले,

ना माने तो मेरे कंगन रखले,

या में मोती जड़े है हज़ार,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


ना माने तो मेरे दिल को रखले,

ना माने तो मेरे दिल को रखले,

या में बैठे बिहारी लाल,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


मेरा छोड़ दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी,

सवेरे दही लेके आउंगी,

सवेरे दही लेके आउंगी,

मेरा छोड दे दुपट्टा नन्दलाल,

सवेरे दही लेके आउंगी ॥


सुहागिनों के लिए क्यों खास है गणगौर

गणगौर व्रत भारतीय संस्कृति में स्त्रियों की श्रद्धा, प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

मैया मेरी लाज रख ले: भजन (Mata Meri Laaj Rakh Le)

तेरे चरणों में शीश मैं झुकाऊं,
तेरे ही गुण गाऊं,

मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया (Mere O Sanware Tune Kya Kya Nahi Kiya)

मेरे ओ सांवरे,
तूने क्या क्या नहीं किया,

होली रे होली बरसाने की होली (Holi Re Holi Barsane Ki Holi)

राधा कृष्ण ने मिल कर खेली बरसाने की होली,
संग किशन के ग्वाल सखा है सखियाँ राधा टोली,