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मेरे उठे विरह में पीर(Mere Uthe Virah Me Pir)

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


श्लोक

सब द्वारन को छोड़ के,

श्यामा आई तेरे द्वार,

श्री वृषभान की लाड़ली,

मेरी और निहार ॥


मेरे उठे विरह में पीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी,

मुरली बाजे यमुना तीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


श्याम सलोनी सूरत पे,

दीवानी हो गई,

अब कैसे धारू धीर सखी,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


छोड़ दिया मेने भोजन पानी,

श्याम की याद में,

मेरे नैनन बरसे नीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


इस दुनिया के रिश्ते नाते,

सब ही तोड़ दिए,

तुझे कैसे दिखाऊं दिल चिर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


नैन लड़े मेरे गिरधारी से,

बावरी हो गई,

दुनिया से हो गई अंजानी,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


मेरे उठे विरह में पीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी,

मुरली बाजे यमुना तीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥

सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हें (Sabse Pahle Gajanan Manaya Tumhe)

सबसे पहले गजानन मनाया तुम्हे,
तेरा सुमिरण करे आज आ जाइये,

भूमि पूजन विधि

किसी भी व्यक्ति के लिए घर उसका मंदिर होता है। इसी कारण से जब वो अपने घर के निर्माण कार्य की शुरुआत करता है, उससे पहले भूमि का पूजन करवाता है।

भरदे रे श्याम झोली भरदे (Bharde Re Shyam Jholi Bhar De)

भरदे रे श्याम झोली भरदे,
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मैया तेरे भक्तों को, तेरा ही सहारा है (Maiya Tere Bhakto Ko Tera Hi Sahara Hai)

मैया तेरे भक्तों को,
तेरा ही सहारा है

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