नवीनतम लेख

मेरी मां के बराबर कोई नहीं

ऊँचा है भवन, ऊँचा मंदिर

ऊँची है शान, मैया तेरी

चरणों में झुकें बादल भी तेरे

पर्वत पे लगे शैया तेरी


हे कालरात्रि, हे कल्याणी

तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)


तेरी ममता से जो गहरा हो

ऐसा तो सागर कोई नहीं

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)


जैसे धारा और नदिया, जैसे फूल और बगिया

मेरे इतना ज़्यादा पास है तू

जब ना होगा तेरा आँचल, नैना मेरे होंगे जल-थल

जाएँगे कहाँ फिर मेरे आँसू?


दुख दूर हुआ मेरा सारा

अँधियारों में चमका तारा

नाम तेरा जब भी है पुकारा


सूरज भी, यहाँ है चंदा भी

तेरे जैसा उजागर कोई नहीं

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)


हे कालरात्रि, हे कल्याणी

तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)


तेरे मंदिरों में, माई, मैंने ज्योत क्या जलाई

हो गया मेरे घर में उजाला

क्या बताऊँ तेरी माया, जब कभी मैं लड़खड़ाया

तूने दस भुजाओं से सँभाला


खिल जाती है सूखी डाली

भर जाती है झोली ख़ाली

तेरी ही मेहर है, मेहरावाली


ममता से तेरी बढ़ के, मैया

मेरी तो धरोहर कोई नहीं

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)


हे कालरात्रि, हे कल्याणी

तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)


तेरी ममता से जो गहरा हो

ऐसा तो सागर कोई नहीं

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

(मेरी माँ के बराबर कोई नहीं)

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं


माँ.., मेरी माँ...

माँ.., मेरी माँ...

माँ.., मेरी माँ...

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं।

भगवान कार्तिकेय के प्रमुख मंदिर

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक चंद्र मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए भक्त हर महीने इस तिथि को उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।

नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे(Nandrani Kanhaiya Jabar Bhayo Re)

नंदरानी कन्हयो जबर भयो रे,
मेरी मटकी उलट के पलट गयो रे ॥

क्यों मनाते हैं माघ पूर्णिमा

सनातन हिंदू धर्म में, पूर्णिमा तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को प्रिय है। माघ पूर्णिमा के पर्व को वसंत ऋतू के आगमन के दौरान मनाया जाता है।

प्रेतराज चालीसा (Pretraj Chalisa)

॥ गणपति की कर वंदना, गुरू चरनन चितलाये।