नवीनतम लेख

नंगे नंगे पाँव चल आ गया री(Nange Nange Paon Chal Aagaya Ri)

नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥


तेरा पुजारी मैया, तेरा पुजारी,

नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥


हाथों में लेकर गंगा जल गागर,

हाथों में लेकर गंगा जल गागर,

श्रद्धा से स्नान करा गया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥


नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥


लाल लाल चोला किनारी गोटे वाला,

लाल लाल चोला किनारी गोटे वाला,

लाल लाल चुनरी ओड़ा गया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥


नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥


चाँदी की कटोरी में केसर घोल के,

चाँदी की कटोरी में केसर घोल के,

माथे पे तिलक गया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥


नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥


चंपा चमेली गुलाब जूही गेंदा,

चंपा चमेली गुलाब जूही गेंदा,

पुष्पों की माला पहना गया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥


नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥


तेरा पुजारी मैया तेरा पुजारी,

नंगे नंगे पाँव चल आ गया री माँ,

इक तेरा पुजारी ॥

चैत्र अमावस्या को क्यों कहते हैं भूतड़ी अमावस्या

चैत्र मास की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह दिन नकारात्मक ऊर्जा, आत्माओं और मृत पूर्वजों से जुड़ा हुआ है।

विवाह पंचमी क्यों मनाई जाती है

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाई जाती है जो भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की स्मृति में मनाया जाने वाला पवित्र पर्व है। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है।

नकद-तिजोरी पूजा विधि

हर व्यक्ति चाहता है कि उसका घर धन-धान्य से भरा रहे। इसके लिए वे नकद और तिजोरी की पूजा करते हैं। भारतीय परंपरा में नकद और तिजोरी धन और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं।

प्रदोष व्रत क्यों रखा जाता है?

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। दरअसल, यह व्रत देवाधिदेव महादेव शिव को ही समर्पित है। प्रदोष व्रत हर माह में दो बार, शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।

यह भी जाने