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प्रभु जो तुम्हे हम, बताकर के रोये (Prabhu Jo Tumhe Hum Batakar Ke Roye)

प्रभु जो तुम्हे हम,

बताकर के रोये,

बताकर के रोये,

उसे दिल में कब से,

दबा कर के रोये,

प्रभु जो तुम्हें हम,

बताकर के रोये ॥


किसी ने ना समझी,

मेरी बेक़रारी,

मिला ना कोई अपना,

दुनिया में सारी,

इसी बेबसी को,

छुपा कर के रोये,

प्रभु जो तुम्हें हम,

बताकर के रोये ॥


समझ कर मुक़द्दर,

हमारा यही है,

जो तुमने लिखा है,

वो होता सही है,

ख़ुशी में है सबको,

जताकर के रोये,

प्रभु जो तुम्हें हम,

बताकर के रोये ॥


मोहब्बत है क्या चीज़,

वफ़ा किसको कहते,

नहीं खोज पाओगे,

दुनिया में रहते,

हम ही ऐसे बंधन,

निभा कर के रोये,

प्रभु जो तुम्हें हम,

बताकर के रोये ॥


ये दिल की जो बातें,

तुम्हे कह रहे है,

है छाले जो नैनो की,

राह बह रहे है,

‘पंकज’ तुम्हे जो,

दिखा कर के रोये,

प्रभु जो तुम्हें हम,

बताकर के रोये ॥


प्रभु जो तुम्हे हम,

बताकर के रोये,

बताकर के रोये,

उसे दिल में कब से,

दबा कर के रोये,

प्रभु जो तुम्हें हम,

बताकर के रोये ॥

ओ सांवरे दाता मेरे, तेरा शुक्रिया है (O Sanware Data Mere Tera Shukriya Hai)

मुझे जो भी कुछ मिला है,
तुमने ही सब दिया है,

श्री रामायण जी की आरती (Shri Ramayan Ji Ki Aarti)

आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

2025 की पहली मासिक दुर्गाष्टमी कब है

मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन मां भगवती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।